नौकरी के नाम पर करोड़ों की ठगी - योगीराज मे युवाओं के सामने पेपर लीक बड़ी समस्या

महंगाई और बेरोजगारी की इस दौर में सरकारी संस्थाओं की भर्ती की परीक्षा का पेपर लीक हो जाए तो बेचारा बेरोजगार किस पर विश्वास करे। योगीराज के 7 साल के कार्यकाल में पिछली सरकार की तरह पेपर लीक होने का मसला थम ही नहीं रहा है। 
बेरोजगारों का आरोप इस सरकार पर लग रहा है कि सरकारी नौकरी की भर्ती का विज्ञापन भी बहुत मुश्किल से निकलता है। अगर विज्ञापन का नोटिफिकेशन जारी हो गया तो साल दो साल इसकी परीक्षा कराने में लग जाता है। ‌ अगर सब कुछ ठीक रहा अर्थात पेपर लीक नहीं हुआ तो सिलेक्शन फाइनल होते-होते साल 2 साल निकल जाता है। ‌ 
शहरों और गांव में कंपटीशन की तैयारी करने वाले युवा आजकल इन्हीं मुद्दों पर बात करते हुए नजर आते हैं। 
लेकिन किसी भी मुख्यधारा की टीवी चैनल और अखबार की रिपोर्ट इनकी आवाज नहीं उठाती है।


शॉर्ट वीडियो और यूट्यूब चैनल के माध्यम से लोग उठा रहे हैं अपनी आवाज
 

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों की बात जब मीडिया की मुख्य धारा के माध्यम से जनता तक और सरकार तक नहीं पहुंच रही है तो शॉर्ट वीडियो और यूट्यूब चैनल के जरिए यह बात अब इन दिनों सोशल मीडिया पर उठाई जा रही है। वहीं सरकारी नौकरी और महंगाई के सवाल पर बड़े-बड़े टीवी चैनल और अखबार चुप्पी के साध लेते हैं। 


सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले बेरोजगारों को निराशा ही हाथ लग रही है। उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों में पर्चा लीक की समस्या आम थी। ‌ वर्तमान में योगीराज के जमाने में परीक्षा लीक हो रहा है। ऐसे में बेरोजगार परेशान हो गए हैं। 

बेरोजगारों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी सरकार 
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उत्तर प्रदेश की सरकार बेरोजगारों की उम्मीद पर खरी उतर नहीं रही है। मेहनत के बल पर सरकारी नौकरी का सपना साकार करने की मन में आशा लिए हुए प्रतियोगी छात्र दिन-रात पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में जब खबर आती है कि पेपर लीक हो गया है तो उनके सपने टूट जाते हैं। सरकारी नौकरी की घटती संख्या के कारण वैसे भी बेरोजगार परेशान है। 

सरकार को उठाना चाहिए सख्त कदम

प्रतियोगी परीक्षा के पेपर लीक होने के बढ़ते मामले पर योगी सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए। हालांकि पेपर लीक होने के बाद कार्रवाई की जाती है। 
पिछले 7 साल में पेपर लीक होने के मामले उत्तर प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। आखिर शासन व्यवस्था इतना चुस्त दुरुस्त क्यों नहीं है कि पेपर लीक की समस्या से निजात दिलाया जा सके। ‌


उत्तर प्रदेश के लोग का मानना है कि उत्तर प्रदेश में योगीराज के शासन में सरकारी परीक्षाओं के पेपर लीक होना। प्रशासन व्यवस्था की सबसे बड़ी कमी है।  

उत्तर प्रदेश सरकार में सरकारी नौकरी की परीक्षा में पेपर लीक के बारे में जानकारी 


यूपी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक 

फरवरी महीने में आयोजित यूपी कांस्टेबल भर्ती 2024 की परीक्षा का पेपर लीक होने का आरोप अभ्यर्थियों की तरफ से लगा। पेपर लीक की खबरें आ रही थी, इसके बाद अभ्यर्थियों ने पेपर रद्द करने की मांग की। ‌

ARO /RO भर्ती पेपर लीक मामला 

सहायक समीक्षा अधिकारी और समीक्षा अधिकारी का पेपर लीक होने की खबर कैंडिडेट की तरफ से साक्ष्य के रूप में दिया जाने लगा। ‌यूपी RO- ARO भर्ती पेपर लीक केस में एक गिरफ्तार किया।आरोपी गोमतीनगर में कॉमर्स कोचिंग चलाता है। ऐसे में पेपर लीक होना भविष्य के साथ मजाक है। ‌

ट्यूबवेल ड्राइवर परीक्षा का पेपर लीक 

सितंबर 2018 में ट्यूबवेल और ड्राइवर की परीक्षा का पेपर भी लीक हो गया था। ‌ यह परीक्षा उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा कराई जा रही थी।‌ एसटीएफ ने मेरठ से 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया। ‌


फरवरी 2018 में UPPCL पेपर लीक

उत्तर प्रदेश की पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा फरवरी 2018 में लीक हो गई थी। जिसके बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया। 


उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने 25 और 26 जुलाई 2017 को इंस्पेक्टर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा (CBT) परीक्षा को रद्द कर दिया गया। ‌ माना जा रहा था कि व्हाट्सएप पर पेपर लीक हो गया है। 

आर्टिकल का निष्कर्ष 

आपको बता दे कि पेपर लीक के मामले देश हित में नहीं है। पेपर लीक माफिया सक्रिय हैं, इन पर कार्रवाई करना जरूरी है। भर्ती परीक्षा में माफिया की दखलअंदाजी बढ़ती जा रही है ऐसे में सख्त कार्रवाई करना बहुत जरूरी है। ‌योगी सरकार को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए। ‌
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