नेता जी के सर झूठ व लूट की गठरी,
अमित श्रीवास्तव - संपादक की ✍
चुनावी महापर्व चल रहा है, वैसे तो हर चुनावी महापर्व में मंचों से मतदाताओं का बहुमुल्य मत लेकर विजयी होने के लिए नेताओं द्वारा सहन से अधिक झूठ बोला जाने का एक चलन हो गया है। उत्तर प्रदेश चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए रायबरेली से अमित शाह का भाषण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा - कह रहे हैं एक बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बना लो बारहवीं पास करके इंटर में एडमिशन लेने वाले युवाओं को भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा लेपटॉप और स्मार्ट फोन देने का काम किया जाएगा। गुमराह करते हुए यह कितना बड़ा झूठ की गठरी बांध भाषणबाजी हो रही सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। 2014 चुनावी झूठ की गठरी बांध भाषणबाजी करते 15-15 लाख दीये जाने की बात कही गई थी वो तो भाजपा सरकार ने पूरी भी की और जनता ने स्वीकार किया कुछ इस प्रकार - अयोध्या में कितने जलाये गये दिये 9 लाख व 3 लाख कुल 12 लाख अब तक कितना दीये 2017 दीपावली पर 1 लाख 65 हजार, 2018 दीपावली पर 3 लाख 150, 5 लाख 51 हजार 2020 नवंबर 6 लाख 12 लाख (वगैरह वगैरह) दीये न अब तक कितना दीये- पन्द्रह लाख। ऐसे ही दीये जा रहे हैं।

2014 घोषणा पत्र से घोटाले बाजो को पकड़ चुके, काला धन ला चुके, पंद्रह-पंद्रह लाख जन-धन खाते में दे चुके, गुजरता की तर्ज पर देश भर में उद्योग लगा चुकें, बेरोजगारी दूर कर चुके, भ्रष्टाचार मुक्त भारत कर चुके, मंहगाई की मार से बचा चुके, पेट्रोल, गैस सस्ते दामों पर दे चुके, मतलब सारे झूठे वादे चुनाव घोषणा पत्र में ही होता है। देश और प्रदेश का बागडोर जिनके हाथ सौंपा जा रहा है देश प्रदेश की मतदाताओं द्वारा, जब वही झूठ की गठरी अपने सर लाद जनता को धोखा दे रहे हैं तो देश प्रदेश का हाल क्या करेंगे झूठे लूटेरे नेता सब ? सोचने समझने फिर मतदान करने का समय चल रहा है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनावी भाषण बाजी से हर जनसभा को संबोधित करते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा फिरते थे गुजरात के तर्ज पर देश का विकास करुंगा। पांच साल बनाम 70 साल। पेट्रोल 70 का है 35 करुंगा। महगाई की मार से बचने के लिए भाजपा की सरकार बनाइये। 350 महंगा गैस वो भी मिलती नहीं आपके सिलेंडर चोरी कर ली जाती है थोड़ा वोट देने जाते समय अपने गैस सिलेंडर को प्रणाम कर के जाना, मेरी सरकार बनी तो सस्ती और हर घर को गैस मुहैया होगी। 350 से 1000 पार, आज गैस की हर लोगों को जरुरत है, गैस की महंगाई चरम पार। मंचों से अनगिनत घोटाले दिखा रहे थे सभी घोटालेबाजों को जेल भेजवाने का वादा मंचों पर कर रहे थे। काला धन वापस मंगा कर देश हित में खर्च करने के साथ-साथ पंद्रह पंद्रह लाख पाने की चाह में गरीब जनता जन-धन खाता खोल अब तक इन्तजार में टकटकी लगा बैठीं है। ज़ीरो बैलेंस से खाता खुलेगा हजार पांच सौ का व्यवस्था कर गरीबों ने बैंकों से पासबुक लिया अब दो हजार से कम खाते में रहने पर सरचार्ज कटौती शुरू न जाने कितने खाते माईनस में चले गए बेचारी जनता का अपना भी हजार पांच सौ सरचार्ज में कट गया। चुनावी भाषण 2014 हर जगह उद्योग लगेंगे आप को गुजरात रोजगार के लिए नही जाना पडेंगा आपके आस-पास ही कल कारखाने लगेगें जैसा कि मुख्यमंत्री रहते गुजरात की भूमि को उद्योग से भरा वैसे ही प्रधानमंत्री बन पूरे देश में कार्य करुंगा बेरोजगारी नही रहेगी, भ्रष्टाचार को भी खत्म कर दूंगा, सारे भ्रष्टाचारियों को जेल भेजवा दूंगा। स्पष्ट हो गया जो भी चुनावों में मंचों से कहा गया उसके विपरीत धरातल पर दिखायी दे रहा है। नोट बन्दी हुआ आम जन अपना ही पैसा बैकों से नही ले पा रहा था कितनी शादी-ब्याह प्रभावित हुआ पैसा न मिलने पर, कितनी जाने नाहक में दवा अभाव में चलीं गई कोई फर्क सरकार पर नही पड़ा। 2017 विधानसभा चुनाव में मंचो से झूठ की गठरी बांधे भाषण बाजी हुआ उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार होने के कारण आप प्रदेश वासियों को नोट बंदी में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा भाजपा को वोट दिजीए सरकार बनते ही जांच-पड़ताल शुरू किया जाएगा और बैंक कर्मियों के द्वारा की गई धांधली की जांच कर दोषी को जेल भेजा जाएगा। चुनाव में भाजपा की झूठ भरी गठरी पर भरोसा कर-कर जनता एकक्ष सरकार बनाने का काम करती जा रही है। भाजपा सरकार गठन के साथ ही चुनावी मुद्दा भुल कुर्सी पाते अपनी मर्जी कर रही यह जन हितकारी नहीं है। जनता की बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना उचित नहीं समझा जा रहा है। कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क भाजपा सरकार ने भी दिखा दिया।
2014 चुनावी मुद्दा- घोटाला
जो मंचों से जनता को दिखा केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार। कुछ चर्चित घोटाला जिसमें जनता का लुट गया अरबों-खरबों आखिर जिम्मेदार कौन?
वैसे तो भारतीय घोटालों का इतिहास काफी लंबा है, उतना ही लंबा भारत में घोटालों की सूची भी है। पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद लोग पुराने घोटालों और फर्जीवाड़ों के इतिहास को भी खंगाल रहे हैं। आइए जानते हैं कि कौन-सा घोटाला कब हुआ! 2014 केन्द्र में भाजपा सरकार गठन के बाद भारत में चल रही चिटफंड बैकों को गैरकानूनी करार देकर बन्द करवा दिया गया लाखों लोगों का रोजगार गया साथ ही भारतीय गरीब असहाय लोगों का पेट काट जमा धन डूबा हुआ है। अभी इसे धोटाला नही कहा जा रहा है क्यूंकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल का मामला है। इस मुद्दे पर ध्यान नहीं क्यूँकि धोटालो को सामने लाने वाली जन हितैषी जनहित मुद्दे को लेकर भारत बन्द रेल बन्द कराने का काम करने वाली भारतीय जनता पार्टी ही देश से प्रदेश तक सरकार चला रही है। इस सरकार में जनता का मुद्दा न उठेगा न समाधान होगा सरकार की कार्यकलाप को देखते हुए यह तो तय है। आइये जो धोखेबाज सार्वजनिक हैं उन्हीं का थोड़ा याद करा रहे हैं।
जीप घोटाला- जीप घोटाला देश की आजादी के बाद 1948 में सामने आया। पाकिस्तानी हमले के बाद भारतीय सेना को जीपों की जरूरत थी। उस वक्त 300 पाउंड प्रति जीप के हिसाब से 1500 जीपों का आदेश दिए गए थे, लेकिन 1949 तक महज 155 जीपें पहुंच पाईं। जांच में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वीके मेनन दोषी पाए गए, हुआ कुछ नहीं।
साइकिल घोटाला 1951 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव एस ए वेंकटरमण थे। उन पर गलत तरीके से एक कंपनी को साइकिल आयात करने का कोटा जारी करने का आरोप लगा था। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
बीएचयू फंड घोटाला 1956 शिक्षा क्षेत्र से जुड़े इस घोटाले में बीएचयू के कुछ अधिकारियों ने फंड में हेराफेरी की थी। यह घोटाला उस समय 50 लाख रुपए का था।
हरिदास मूंदड़ा मामला 1958 कोलकाता के रहने वाले हरिदास मूंदड़ा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ रुपए से संबंधित मामलों का खुलासा हुआ। इसमें तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एचएम पटेल और एलआईसी चेयरमैन भी इस मामले में दोषी पाए गए थे। इस मामले में वित्त मंत्री को पद से हटा दिया गया मूंदड़ा को 22 साल की सजा मिली। इस मामले का खुलासा फिरोज गांधी ने संसद में किया था।
तेजा लोन स्कैम 1960 कारोबारी जयंत धर्म तेजा ने जयंती शिपिंग कंपनी शुरू करने के लिए 1960 में 22 करोड़ रुपए का लोन लिया और धनराशि को देश से बाहर भेज दिया। इस मामले में छह साल की कैद हुई।
प्रताप सिंह कैरों स्कैम 1963 पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार प्रतापसिंह कैरों देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगा। उन पर परिवार के लोगों को फायदा पहुंचाने का भी आरोप लगा था। कैरों की शिकायत तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को की गई थी, लेकिन नेहरू ने उनका बचाव किया था।
पटनायक 'कलिंग ट्यूब्स' मामला 1965 उड़ीसा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक पर अपनी निजी कंपनी 'कलिंग ट्यूब्स' को एक सरकारी कॉन्ट्रेक्ट दिलाने में मदद करने का आरोप लगा था। इस मामले में बीजू पटनायक को इस्तीफा देना पड़ा था।
मारुति घोटाला 1974 में हुआ था। इस घोटाले की आंच इंदिरा गांधी तक पहुंची थी। इस मामले में पैसेंजर कार बनाने का लाइसेंस देने के लिए संजय गांधी की मदद की गई थी।
वर्ष 1976 कुओ आइल डील घोटाले में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा 2.2 करोड़ हांगकांग की फर्जी कंपनी से डील की गई थी। इसमें बड़े स्तर पर घूस लेने का आरोप लगा।
अंतुले ट्रस्ट- अंतुले ट्रस्ट प्रकरण की गूंज 1981 में हुई और यह महाराष्ट्र में हुए सीमेंट घोटाले से संबद्ध था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री तत्कालीन मुख्यमंत्री एआर अंतुले का नाम एक घोटाले में सामने आया था। उन पर आरोप यह था कि उन्होंने इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान, संजय गांधी निराधार योजना, स्वावलंबन योजना आदि ट्रस्ट के लिए पैसा इकट्ठा किया था।
जर्मनी की पनडुब्बी बनाने वाली कंपनी एचडीडब्ल्यू को काली सूची में डाल दिया गया क्योंकि उसके खिलाफ आरोप थे कि उसने 20 करोड़ रुपए बतौर कमीशन बड़े और प्रभावशाली लोगों को दिए थे।
बोफोर्स घोटाला 1987 - 1986 में स्वीडन की एबी बोफोर्स कंपनी से 155 तोपें खरीदने का सौदा तय किया गया। कहा जाता है कि इस सौदे को पाने के लिए 64 करोड़ रुपए की दलाली दी गई थी। ऑटोवियो क्वात्रोची और राजीव गांधी का नाम इस घोटाले में सामने आया था। देश के इस शीर्ष घोटाले को उठाकर विश्वनाथ प्रतापसिंह सत्ता में आए थे।
सेंट किट्स मामला 1989 इस मामले में वीपी सिंह पर अवैध पैसा लेने का आरोप लगा था। उस समय पीवी नरसिंहराव विदेश मंत्री थे। बाद में पता चला कि जिन दस्तावेजों के सहारे वीपी सिंह को फंसाने की कोशिश की गई थी, उन पर अंग्रेजी में हस्ताक्षर थे, जबकि सिंह किसी भी सरकारी दस्तावेज पर अंग्रेजी में हस्ताक्षर नहीं करते थे।
हर्षद मेहता कांड वर्ष 1992 में हर्षद मेहता ने धोखाधाड़ी से बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब 5000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।
इंडियन बैंक वर्ष 1992 में ही बैंक से छोटे कॉरपोरेट घरानों और निर्यात कंपनियों ने बैंक से करीब 13000 करोड़ रुपए उधार लिए थे, लेकिन यह धनराशि उन्होंने कभी नहीं लौटाई। उस वक्त बैंक के चेयरमैन एम. गोपालाकृष्णन थे।
चारा घोटाला 1996 बिहार में हुए चारा घाटाले ने देश में सनसनी फैला दी थी क्योंकि यह ऐसा घोटाला था जो कि एक-दो करोड़ रुपए से शुरू होकर 360 करोड़ रुपए तक जा पहुंचा था। इस घपले के सूत्रधार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को माना जाता है, जो इस समय जेल में सजा काट रहे हैं।
लक्खू भाई पाठक इंग्लैंड में रहने वाले अचार व्यापारी लक्खू भाई पाठक ने नरसिंहराव और चंद्रा स्वामी पर 10 लाख रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था।
टेलीकॉम स्कैम कांग्रेस नेता सुखराम शर्मा जो कि दूरसंचार मंत्री थे, पर आरोप लगा था कि उन्होंने हैदराबाद की एक निजी कंपनी को टेंडर दिलाने में मदद की, जिसकी वजह से सरकार को 1.6 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। 2002 में उन्हें इस मामले में जेल भी जाना पड़ा था।
यूरिया घोटाला नेशनल फर्टिलाइजर कंपनी के एमडी सीएस रामकृष्णन ने कई अन्य व्यापारियों, जो कि नरसिम्हाराव के नजदीकी थे, के साथ मिलकर दो लाख टन यूरिया आयात करने के मामले में सरकार को 133 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया था। यह यूरिया कभी भारत तक पहुंच ही नहीं पाया।
हवाला घोटाला देश से बाहर धन भेजने से जुड़े मामले से आम हिंदुस्तानियों का परिचय इसी घोटाले की वजह से हुआ। 1991 में सीबीआई ने कई हवाला ऑपरेटरों के ठिकानों पर छापे मारे। इस छापे में एसके जैन की डायरी बरामद हुई।
झारखंड मुक्ति मोर्चा मामला 1993 पीवी नरसिंहराव के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शैलेंद्र महतो ने यह खुलासा किया कि उन्हें और उनके तीन सांसद साथियों को 30-30 लाख रुपए दिए गए ताकि नरसिम्हाराव की सरकार को समर्थन देकर बचाया जा सके। इस मामले में शिबू सोरेन को जेल भी जाना पड़ा था।
चीनी घोटाला वर्ष 1994 में तत्कालीन खाद्य आपूर्ति मंत्री कल्पनाथ राय ने बाजार भाव से भी महंगी दर पर चीनी आयात का फैसला लिया था। इस चीनी घोटाले में सरकार को 650 करोड़ रुपए का चूना लगा। इस मामले में राय की कुर्सी भी गईं उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
जूता घोटाला मामले का 1995 में खुलासा हुआ और बहुत सारे सरकारी अधिकारी, महाराष्ट्र स्टेट फाइनेंस कार्पोरेशन के अफसर, सिटी बैंक, बैंक ऑफ ओमान, देना बैंक आदि भी इस मामले में लिप्त पाए गए। दरअसल, सोहिन दया नामक एक व्यापारी ने मेट्रो शूज के रफीक तेजानी और मिलानो शूज के किशोर सिगनापुरकर के साथ मिलकर कई सारी फर्जी चमड़ा कोऑपरेटिव सोसायटियां बनाईं और सरकारी धन लूटा।
तहलका कांड एक मीडिया हाउस तहलका के स्टिंग ऑपरेशन ने यह खुलासा किया था कि कैसे कुछ वरिष्ठ नेता रक्षा समझौते में गड़बड़ी करते हैं। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को रिश्वत लेते हुए लोगों ने टेलीविजन और अखबारों में देखा। इस घोटाले में रक्षा मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडीज और भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार का नाम भी सामने आया था। जॉर्ज को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
मैच फिक्सिंग साल 2000 में जेंटलमैन स्पोर्ट्स यानी क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का धब्बा पहली बार भारतीय खिलाड़ियों पर लगा। इसमें प्रमुख रूप से अजहरुद्दीन और अजय जडेजा का नाम सामने आया। अजय शर्मा और अजहर पर आजीवन प्रतिबंध लगा तो जडेजा और मनोज प्रभाकर पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
बराक मिसाइल सौदा - बराक मिसाइल रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार का एक और नमूना बराक मिसाइल की खरीददारी में देखने को मिला। इसे इसराइल से खरीदा जाना था, जिसकी कीमत लगभग 270 मिलियन डॉलर थी। इस सौदे पर डीआरडीपी के तत्कालीन अध्यक्ष एपीजे अब्दुल कलाम ने भी आपत्ति जताई थी। फिर भी यह सौदा हुआ।
यूटीआई घोटाला आरोप के मुताबिक 48 हजार करोड़ रुपए का यह घोटाला पूर्व यूटीआई चेयरमैन पीएस सुब्रमण्यम और दो निदेशकों एमएम कपूर और एस के बासु ने मिलकर किया। ये सभी गिरफ्तार हुए, लेकिन सजा किसी को नहीं मिली।
तेल के बदले अनाज - वोल्कर रिपोर्ट के आधार पर यह बात सामने आई कि तत्कालीन विदेश मंत्री नटवरसिंह ने अपने बेटे को तेल का ठेका दिलाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
ताज कॉरिडोर 175 करोड़ रुपए के ताज कॉरिडोर घोटाले में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर लगातार तलवार लटकी रही और अब भी लटकी हुई है। सीबीआई के पास यह मामला है और राजनीतिक सुविधानुसार कभी खल कभी बंद हो जाता है।
कोड़ा मनीलांडरिंग मामला मुख्यमंत्री रहते हुए अरबों की कमाई कैसे हो सकता है, यह साबित किया झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने। उन्होंने 4 हजार करोड़ से भी ज्यादा की काली कमाई की। विदेशों में निवेश किया। कोड़ा को इस मामले में जेल हुआ।
आदर्श घोटाला आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड ने गैर कानूनी तरीके से कोलाबा के आवासीय क्षेत्र नेवी नगर और रक्षा प्रतिष्ठान के आसपास इमारत का निर्माण किया। यह योजना कारगिल युद्ध में शहीद हुए लोगों के परिवार वालों के लिए बनाई गई थी, जबकि इसके 80 फीसदी फ्लैट्स असैनिक नागरिकों को आवंटित किए गए। इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पड़ा।
ताबूत घोटाला - भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बेहद संगीन मामला सामने आया। 1999-2000 के दौरान ऐसे 500 अल्यूमीनियम ताबूत और 3000 शव थैले खरीदने के लिए अमेरिका की एक कंपनी के साथ सौदा किया था। इस तरह की बातें भी सामने आईं कि जिन ताबूतों की खरीद हुई, उसमें भारी घोटाला हुआ।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज घोटाला- 1992 में शेयर बाजार में घोटाले का तहलका मचाने वाले शेयर दलाल हर्षद मेहता पर लगे आरोपों के बाद इस जेपीसी का गठन किया गया था। आरोप था कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी मारुति उद्योग लिमिटेड के पैसों का मेहता ने दुरुपयोग किया था। मेहता के वायदा सौदों का भुगतान न कर पाने की वजह से सेंसेक्स में 570 अंकों की गिरावट आई थी। सीबीआई ने लगभग 72 अपराधिक मामले दर्ज करने के अलावा 600 दीवानी मामले चलाए लेकिन इनमें से महज चार मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए। सितंबर 1999 में मेहता को मारुति उद्योग के साथ धोखाधडी के आरोप में चार साल की सजा हुई और उसका जेल में निधन हो गया।
सिक्यूरिटी स्कैम-1992 में हर्षद मेहता ने धोखाधडी से बैंकों का पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर दिया, जिससे स्टॉक मार्केट को करीब पांच हजार करोड रुपए का घाटा हुआ था। इसी तरह एक दूसरे शेयर दलाल केतन पारेख ने एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया था।
आईपीएल घोटाला - वित्तीय अनियमतिताओं के चलते आईपीएल-3 के समापन के तत्काल बाद आईपीएल प्रमुख ललित मोदी को पद से निलंबित कर दिया गया था। मामले की जांच अभी भी चल रही है। मोदी के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया। आईपीएल में 1200 से 1500 करोड़ रुपए का घोटाला होने की बात कही गई थी। चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर इस घोटाले के चलते प्रतिबंध भी लगा था।
सत्यम घोटाला- सत्यम घोटाला कॉरपोरेट जगत में सबसे बड़ा घोटाला था। उस समय भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विस ने रियल स्टे्टस और शेयर मार्केट के जरिए देश को 14 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया।
स्टांप घोटाला- स्टांप की हेराफेरी कर अब्दुल करीम तेलगी ने देश को 20 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया। इस घोटाले की खास बात यह थी कि तेलगी को सरकार का पूरा सहयोग मिला, जिसके चलते उसने स्टांप की हेराफेरी को अंजाम दिया।
हसन अली टैक्स चोरी मामला- देश के सबसे बड़े कथित टैक्स चोर हसन अली पर 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा टैक्स चोरी का आरोप लगा था। हसन अली और उनके सहायकों पर विदेशों में काला धन रखने का था आरोप। हसन अली स्विस बैंकों में 8 अरब डॉलर रखे हैं। आरोप के मुताबिक उसने अपनी आमदनी छिपाई और 1999 के बाद से आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला- करीब करीब 70 हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ। इस मामले में मुख्य तौर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों के नाम शामिल रहे।
टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला - कहा जाता है कि इस पूरे मामले में देश के खजाने को 176 हजार करोड़ की हानि हुई। इस मामले के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और पूर्व संचार मंत्री ए. राजा को जिम्मेदार ठहराया गया। दिसंबर 2017 में सीबीआई कोर्ट ने इस मुकदमे के सभी आरोपियों को रिहा कर दिया और कहा की ये गलत मुकदमा किया गया था। ऐसा माना गया कि यह घोटाला हुआ ही नहीं था।
विजय माल्या प्रकरण - विभिन्न बैंकों के 9000 करोड़ रुपए के लोन डिफॉल्ट मामले में कई जांच शुरू होने के बाद अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित विजय माल्या फिलहाल ब्रिटेन में रह रहा है। सरकार घोटालेबाजों को पकड़ने का कोई प्रयास नहीं बल्कि आजादी दे चुकी है।
पीएनबी घोटाला- नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए पंजाब नैशनल बैंक में 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला कर डाला। देश का सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड के बाद दोनों फरार हैं। सरकार चुप्पी साध बैठी।
रोटोमैक घोटाला रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी के खिलाफ लोन फ्रॉड के मामले में सीबीआई के बाद प्रवर्तन निदेशाल ने भी मनीलॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। चौंकाने वाली बात यह है कि कोठारी ने सरकारी बैंकों को 3,695 करोड़ रुपए की चपत लगाई।
2014 से अब तक केन्द्र में चल रही मोदी सरकार का चुनावी मुद्दा मे यह बड़ा मुद्दा था घोटालेबाजों को सजा मिलेगी काला धन वापस लाया जाएगा। भाजपा सरकार में अब तक न किसी को सजा मिली न काला धन देश की जनता के सामने लाया गया। झूठ की गठरी- नेता जी के सर कहावत हकीकत चरितार्थ हुआ।
अब आइए चुनावी मुद्दा 2014 गुजरात के तर्ज पर देश का विकास करेंगे। जगह-जगह जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा जा रहा है छोटे लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है सरकार हर तरफ से सुविधा मुहैया कराने का काम करते रोजगार दिलाने का काम कर रही हैं। जमीनी हकीकत जनसभाओं में कहें जाने के ठीक बिपरीत है। जो उद्योग पहले से ही चल रहे थे वो बन्द होता जा रहा है, नया उद्योग लगाने के लिए चक्कर लगाते रहिए विरान पड़ी औद्योगिक क्षेत्र में भी भूमि नहीं बचा है युगों युगों से आवंटित कर छोड़ दिया गया है न ही उद्योग लगे हैं न उद्योग लगाने के लिए भूमि दी जाती है जो उद्योग लगाने का इच्छुक है उसे कागजों में उलझा कर रखा जाता है। मै खुद कृषि उत्पादन पर आधारित उद्योग लगाने के लिए औद्योगिक क्षेत्र सहित तमाम जिम्मेदार अधिकारियों का चक्कर काट रहा, समझ तब आया जब खुद उद्योग लगाने और रोजगार देने के लिए कमर कस सरकार की मंशा में सहयोग प्रदान करना चाहा। उद्यमियों की समस्याओं को सुनकर झूठ लगता था जब खुद चलना शुरू किया तो मंचों से कहा जाने वाला सब दूध का दूध हकीकत में पानी नजर आया। मंचों से संबोधन में जनता के बीच जो कहा जाता है वास्तविकता यह है कि वो होता नही, झूठ व लूट की गठरी बांध भाषणबाजी मात्र है।