AMBUBACHI MELA- 22 जून 2023 से 51 शक्तिपीठों में सबसे बड़ी, योनी रूपा कामाख्या देवी

22 जून बृहस्पतिवार से 26 जून 2023 सोमवार तक चलने वाला विश्व का एकमात्र अंबुआची मेला भब्य रुप से शुरू हो रहा है। अंबुआची मेला कामाख्या योनी रूपा सर्वशक्तिशाली शक्तिपीठ निलांचल पर्वत कामरूप जिले से जानिए महत्वपूर्ण जानकारी चित्रगुप्त वंशज अमित श्रीवास्तव की कलम से।
सती के 51 शक्तिपीठों में सर्वशक्तिशाली शक्तिपीठ देवी कामाख्या योनी रुप में विराजमान है यहां देवी सामान्य स्त्रियों के जैसे ही रजस्वला होती है। रजस्वला के दौरान मंदिर का कपाट अपने आप बंद हो जाता है। सृष्टि विस्तार में स्त्री योनी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए यहां योनी रूपा महाशक्तिपीठ कामाख्या देवी की अनोखी पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। हमारा भारत वर्ष विभिन्न मान्यताओं का देश है। यहां कई तरह के रीति-रिवाज कल्चर प्रचलित है। यहां तक कि देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के नियम व तरीकों को भी अलग अलग जगहों पर अलग अलग तौर तरीकों से पूजा अर्चना करते देखा जा सकता है। सृष्टि का केन्द्र विन्दु मुक्ति धाम माना जाने वाला सती के 51 शक्तिपीठों में पहला कामाख्या शक्तिपीठ पर सती का योनी भाग स्थापित है। यहां प्रत्येक वर्ष की भांति वार्षिक उत्सव के तौर पर 22 जून 2023 से चार दिवसीय अंबुआची मेला आयोजित किया जा रहा है यह मेला प्राचीन काल से आयोजित होता रहा है। कोविड-19 के कारण बिते दो वर्षों से आयोजन फीका चल रहा था। लेकिन इस बार भब्य आयोजन किया गया है। इस अंबुआची मेला में रोज दिन लाखों श्रद्धालु आते रहते हैं। और भब्य उत्सव का आंनद लेते हुए माता की भक्ति में लीन हो अपनी मनोकामना पूर्ण कि याचना करते हैं। यहां जो भी मन्नतें मांगी जाती है निश्चित रूप से पूरी हो जाती है।
यहां देवी के पीरियड्स की होती है भब्य पूजा
हिन्दू धर्म मान्यताओं के अनुसार पीरियड्स के दौरान स्त्रियों को पूजा करना वर्जित किया गया है यहां तक कि घरेलू कार्य से भी स्त्रियों को वर्जित किया जाता है। रजस्वला स्त्री किसी तरह की पूजा-पाठ में सम्मलित नही होती हैं न ही रसोई घर में जाने दिया जाता है। रजस्वला के दौरान स्त्री को अपवित्र माना जाता है। लेकिन यहां माता के पीरियड्स का ही विषेश पूजा किया जाता है। सती का योनी यहां एक शिला के रूप में स्थापित है, देवी यहां सामान्य स्त्रियों की भाती रजस्वला होती है उस दौरान गर्भ गृह मंदिर का कपाट अपने आप बंद हो जाता है और देवी गर्भ गृह में चली जाती है। देवी के रजस्वला होने की जानकारी ज्योतिष गणित के अनुसार यहां सबको रहती है उससे पहले ही सफेद वस्त्र से देवी के योनी शिला, गर्भ गृह को ढक दिया जाता है। 22 जून 2023 निर्धारित समय 2:30 बजे से देवी वार्षिक रजस्वला में रहेंगी। 25 जून को सूर्योदय के बाद गर्भ गृह मंदिर का कपाट खुलेगा। महिला पुजारियों द्वारा माता को स्नान कराया जायेगा फिर मंदिर के पुजारी पूजन करेंगें उसके बाद वीआईपी लोगों को दर्शन कराया जायेगा तत्पश्चात लाईन में लगे सामान्य भक्तों को दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। 22 जून... निर्धारित समय से पहले देवी की विधि पूर्वक पूजन हुआ और निर्धारित समय पर सभी भक्त व पुजारी मंदिर गर्भ गृह से बाहर निकल आये। अपने आप गर्भ गृह का कपाट बंद हो गया है। देवी के पीरियड्स से ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिनों तक रक्त के समान लाल बहता है। तीन दिन बाद धीरे-धीरे अपने आप पुनः पानी का रंग साफ हो जाता है। इस रहस्य को लेकर वैज्ञानिकों ने यहां बहुत ही जांच-पड़ताल की लेकिन वैज्ञानिक असफल हो माता का चमत्कार मान वापस हुए थे।
अनोखी परंपरा अनोखा प्रसाद
असम राज्य के कुछ हिस्सों में कुवांरी लडकियों के प्रथम मासिक धर्म का उत्सव मनाया जाता जाता है जिस लड़की को पहला मासिक चक्र आता है उसे एक कमरे में बंद कर दिया जाता है न वो लड़की तीन दिनों तक किसी पुरुष को देखती न कोई पुरुष उस लड़की को देखता है। तीन दिन बाद चक्र से बाहर आने पर सार्वजनिक भोज का आयोजन किया जाता है। मासिक चक्र में आई लड़की उस दौरान एक तरह से काल कोठरी मतलब बंद कमरे में रहती है। देवी कामाख्या के रजस्वला के साथ ही अगर किसी लड़की का पहला मासिक चक्र शुरू होता है तो उस लड़की को बहुत शुभ माना जाता है। 
देवी कामाख्या के रजस्वला के दौरान, समय पूर्व योनी शिला गर्भ गृह के आस-पास सफेद वस्त्र बिछाया जाता है। तीन दिन बाद चौथे दिन अपने आप गर्भ गृह का कपाट खुलने का भक्त जनों को इंतजार रहता है। यहां वही वस्त्र देवी के मासिक धर्म से भींग कर लाल हो जाता है। इसी वस्त्र को भक्तों को थोड़ा थोड़ा फाड़कर प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इसे ही अंबुआची वस्त्र कहते हैं। इस प्रसाद का बहुत ही महत्व है। श्रधा पूर्वक आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है देवी के कृपा पात्र ही अमुल्य प्रसाद को प्राप्त करते हैं। इस अंबुआची वस्त्र को धारण करने से भूत-प्रेतों का छाया शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता अगर पहले से ही प्रेतात्मा है तो तुरंत शरीर छोड़ किनारे हो जाता है। ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर आने वाले भक्त जन तांत्रिक या भूत-प्रेत से उत्पन्न बाधाओं से दूर हो जाते हैं। जबकि यह कामरूप कामाख्या पूरी तरह से तांत्रिक क्षेत्र में आता है। विश्व भर से योगी, तांत्रिक, जादूगर, जादूगरनी तमाम तरह की सिद्धियां प्राप्त करने वाले यहीं आते हैं। बताया यह भी जाता है कि यहां सहज ही सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। देवी के रजस्वला होने पर सभी तरह के तांत्रिक यहां तक कि त्रिया राज जादूई नगरी कि जादूगरनीयां भी अपनी सिद्धि के लिए आती हैं। त्रिया राज जादूई नगरी कि जादूगरनीयां भी अपनी अपनी रुचि के अनुसार रुप बदल अपनी सिद्धियों को मजबूत करती हैं। देश विदेश से आये जो बहुत बड़ा तांत्रिक होता है वो इनके असली रूप को पहचान जाता है और इनके शरण में आ शिष्य बनने की प्रार्थना कर शिष्य बन अपने गुरू से तमाम तांत्रिक सिद्धी प्राप्त कर लेता है। सामान्य जगहों पर वैसे ही सिद्ध तांत्रिकों को त्रिया राज का सिख कहा जाता है।
योनी पीठ अंबुआची मेला जाने का रास्ता
भारत वर्ष के असम राज्य में प्रमुख स्थान गुवाहटी जहां सभी देशों जगहों से आवागमन का हवाई, रेल, रोड मार्ग उपलब्ध है। हवाई अड्डे से 20 किलोमीटर, गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर रोड मार्ग पर कामाख्या शक्तिपीठ निल गीरी, निरांचल पर्वत पर स्थित है जो बहुत ही प्राचीन काल से प्रसिद्ध स्थान है। इस स्थान से जुड़ी दास्तान सभी युगों में देखने को मिलता है। यह स्थान श्रृष्टि का केन्द्र विन्दु मुक्ति धाम के रूप में धर्म ग्रंथों में वर्णित है। इस शक्तिपीठ पर योनी रूपा देवी का आशिर्वाद लेने आना चाहिए। इस कलयुग में शक्तिपीठों में स्थापित देवीयां ही सदैव सत्य हैं। अपनी आस्था के अनुसार परोक्ष या अपरोक्ष दर्शन मिलता है।

एक सलाह - हमारे द्वारा दी गई उपरोक्त जानकारी धार्मिक आस्थाओं सहित कामाख्या योनी पीठ से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। ब्लाग लेखक संपूर्ण रूप से हर शब्दों के पुष्टि की जिम्मेदारी नहीं लेगा यहां पहली बार आये अनभिज्ञ व्यक्ति तांत्रिक सिद्धियों के लिए योग्य गुरु का सहयोग ले। यह सम्पूर्ण क्षेत्र तांत्रिक क्षेत्र है, देवी की पूजा अर्चना में ध्यान लगायें, किसी को किसी भी तरह से उपहास न करें, यहां मेले में सभी का सम्मान करें। हो सकता है बहुत कुरुप या बहुत सुन्दर दिख रहा व्यक्ति कोई बड़ी जादूगरनी हो या तंत्र विद्या का सिद्धी प्राप्त किया हो।
51 शक्तिपीठों में प्रथम शक्तिपीठ कामाख्या योनी पीठ पढ़ने के लिए यहां क्लिक किजिये। 
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