ऐं सुख तू कहाँ गई - खट्टी-मीठी
अमित श्रीवास्तव
पूछ रहा अग्निपथ का अग्निवीर- ऐं सुख तू कहाँ गई।
हम सीमा के प्रहरी को क्यूँ- चार साल में सिमट गई।
नही पता अग्निवीरों को मोदीजी दूर तक देखते हैं।
देश की भोली-भाली जनता को धीरे-धीरे ठेसते हैं।
दुख भोगा था जन-जन ने अब यही सुख की बारी है।
आने वाला समय में तो वृद्धाश्रम की बलिहारी है।
पूछ रहा अग्निपथ का अग्निवीर- ऐं सुख तू कहाँ गई।
हम सीमा के प्रहरी को क्यूँ- चार साल में सीमट गई।।
भारत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी वास्तव में बहुत ही कमाल करते हैं। रह-रहकर ऐसा-वैसा कमाल करते हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता इतना कमाल का ईश्वर ने हम भाग्यशाली देश वासियों को प्रधानमंत्री के रूप में कोई मिला तो बस भाई वो नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज होने लायक है नरेंद्र दामोदर दास मोदी। 2014 में आते ही दूर तक देखते हुए चीटफंड बैकिंग पर ऐसा शिकंजा कसा ऐसा शिकंजा कसा लाखों लोग बेरोजगार हो गए सारी चीटफंड बैकिंग कम्पनियां आम जन का जमा धन ले भाग गयीं पहले सरकारी बैंकों कि हालात खराब थी पिछली कोई सरकार सुधार नही कर पाई चार पांच सालों में जमा पूंजी का दो गुना दिए जाने पर भी लालची जनता सरकारी बैंकों में कम चीटफंड में जमा कर ज्यादा लाभ लेती थी जनता की कमर तोड़ सरकारी बैंकों को मजबूती प्रदान मोदी जी ने किया आज दसों साल में दो गुना सरकारी बैंक दे रही हैं तब भी लोगों कि भीड़ बढ़ रही है लोगों के अंदर से दो-तीन साल में दो गुना लेने का लालच तो खत्म हुआ भले ही जमा पूंजी डूबी हुईं है। देश हित में तो हर किसी को कुछ बलिदान देना ही चाहिए। भाई केंद्र में मोदीजी कि सरकार बनने से पहले बहुत ज्यादा महंगा गैस था। गैस ब्लैक का धंधा बहुत था मोदी जी उज्ज्वला गैस योजना से हर घर को गैस सिलेंडर दिए इतना सस्ता इतना सस्ता क्या कहें? साढ़े तीन सौ मे मिल रहा गैस आज ग्यारह सौ। है न सस्ता, गैस सिलेंडर पाकर बहुत भरपूर सस्ता गैस देश की गृहणियां जला रही हैं। थैंक यू मोदी जी के कमाल को। सच में मोदी जी वास्तव में इतनी दूर तक देखते हैं, इतनी दूर की देखते हैं कि वहां तक कोई इस जमाने में टेलिस्कोप से भी नहीं देख पाएगा। भाई नरेंद्र मोदी जी के देखने कि नजरिया देख पिछले ज़माने की याद ताज़ा हो जाती है बड़े बुजुर्गों को ही याद होगा अब इस नये जमाने के अग्नि बिर क्या जाने? हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री भाई मोदी जी कि नजर उन गींढों जैसी ही है जो विलुप्त हो चुके हैं। उनके विलुप्त होने से क्या फर्क पड़ता? मोदी जी को तो ईश्वरीय देन है जो आज भी देश व देश की जनता हित में दूर तक देखते हैं। देश की नासमझ जनता को हर्ष हो या न हो हमें तो है। क्योंकि भाई कोई तो है विश्व भर में जो गींढों जैसी तेज़ नजरिए से दूर तक देखता है। बेशक, जलने वाले उन पर इल्जाम लगाते हैं कि वो तो फेकू प्रधानमंत्री हैं बहुत फेंकते हैं। लेकिन, यह इल्जाम लगाने वाले इस बात को छुपा जाते हैं कि दूर की फेंकने के लिए, दूर तक गिंढो जैसा देखने की भी तो जरूरत होती है। मोदी जी दूर तक इसीलिए तो फेंक पाते हैं कि वह दूर तक देख पाते हैं। आज पचहत्तर साल बाद मोदी जी इतनी दूर फेंकते हैं, इतनी दूर फेंकते हैं - क्योंकि पचहत्तर साल में राज करने वालों ने जितनी दूर तक नहीं देखा, थोड़ी दूर तक अटल बिहारी वाजपेई जी ने देखा देश हित में साठ वर्षों तक सरकारी विभागों में सेवा देने वाले कर्मचारियों की बुढापे का सहारा पेंशन योजना बंद किया अपने नेता बिरादरी को जितनी पेंशन चाहें लो बेजोड़ फार्मूले से। सरकारी कर्मचारियों के बिना पेंशन रिटायर्मेंट के बाद वृद्धा आश्रम की मांग बढ़ना शुरू होगा तभी तो वृद्धाश्रम चलेंगे। रोज-रोज पुरानी पेंशन की मांग करने वाले क्या समझेंगे अटल जी पेंशन योजना खत्म करने के लिए थोड़ा दूर तक क्यों देखा? अटल जी से कईयों गुना मोदी जी दूर तक देखते हैं उतनी दूर कि क्या कहें। मोदी जी ने बहुत दूर तक देखा और नोटबंदी कर दी। आस-पास तक ही देखने वालों ने बड़ी हाय-हाय की, पर मोदी जी ने सबसे दूर की देखी और आधी रात को चार घंटे के नोटिस पर नोटबंदी कर दी। क्या हुआ कि बाकी सब अब तक वह दिखाई देने का इंतजार ही कर रहे हैं, जिसे देखकर मोदी जी ने नोटबंदी की थी। मोदी जी ने नोटबंदी की भी तो, कई प्रकाश वर्ष आगे देखकर की थी। ऐसे ही मोदी जी ने फिर आगे की देखी और जीएसटी चालू कर दी। दो साल, चार साल, सात साल, दस साल की सोचकर राज्य हाय-हाय करते रहे, पर मोदी ने जीएसटी चालू कर दी। फिर मोदी जी ने थाली, बर्तन पिटवाए, दिए-टार्च वगैरह जलवाए और देश भर में तालाबंदी कर दी। हर रोज की रोटी की सोचने वालों ने बहुत कांव-कांव की, लाखों मजदूरों ने पैदल-पैदल गांवों के लिए वापसी के लिए शहरों को बाय-बाय की, पर मोदी जी ने दूर तक देखा और पूरे भारत देश में तालाबंदी कर दी। और अब अग्निपथ। अश्रु स्वेद रक्त से लथपथ अग्निपथ।
हमारे कलम सहित नासमझ देश की जनता के तरफ से थैंक यू भाई मोदी जी, इतनी दूर की सोचने के लिए।
जी हां मोदी जी ने जो आधे देश में हर पथ को अग्निपथ बनाया है, बहुत ही दूर की सोच कर बनाया है। बेशक, यह कहने वाले फौजी-वौजी भी दूर की सोच रहे हैं कि पेंशन-वेंशन के पैसे बचेंगे, तो देश-विदेश से और हथियार खरीदेंगे। या यह कहने वाले भी दूर की ही सोच रहे हैं कि चार-चार साल में लडक़े घर भेज दिए जाएंगे, तो फौज में काले बाल वाले बढ़ जाएंगे। या यह कहने वाले कि हथियार चलाने का कौशल लेकर चार साल में जब लडक़े वापस आएंगे, तो हथियारों की खपत में अमरीका-वमरीका भी हमसे पीछे छूट जाएंगे। पर ये सब दूर की सोच तो रहे हैं, लेकिन मोदी जी जितनी दूर की नहीं।
मोदी जी की दूरदर्शी का ही कमाल है कि अग्निपथ योजना अभी चालू भी नहीं हुई है, ट्रेनिंग तो छोडिए, अग्निवीरों की भर्ती तक शुरू नहीं हुई है, यानी मोदी जी की सरकार ने अभी अग्निवीर तैयार करने का एलान करने के सिवा और कुछ किया तक नहीं है, पर अमृत वर्ष में देश की सीमाएं इतनी सुरक्षित हो गयी हैं, जितनी पचहत्तर साल में नहीं हुई थीं। अग्निपथ का ऐलान होते ही, हमारे दुश्मन थर-थर कांपने लगे हैं। देश भर में संभावित अग्निवीरों की आग ही आग जो नजर आ रही है! और इतनी आग तो बिना ट्रेनिंग के बल्कि भर्ती के भी बिना है। बल्कि अब तो भर्ती की उम्मीद के भी बिना है। छह महीने की ट्रेनिंग के बाद, ये अग्निवीर कैसी आग लगाएंगे, यह सोचकर ही ऐसे-वैसे पड़ोसियों के नहीं, महाशक्तियों के भी छक्के छूट रहे हैं।
यही मोदी जी के अग्निपथ का कमाल है। इसे एक तरह से एटम बम ही समझिए, एटम बम। और एटम बम की तो खासियत ही यह है कि उसका इस्तेमाल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बस पास में उसके होने का विश्वास दिलाना ही काफी होता है, दुश्मनों को होश में लाने के लिए। उसके पास होने का एक डिमोन्स्टे्रशन भर जैसे पोखरण का परीक्षण। जंगल में मोर नाचा, तब भी सारी दुनिया ने देख लिया। और यहां तो मोर शहर-शहर, राज्य दर राज्य नाच रहा है। गुस्से की आग से रेलगाडिय़ों से लेकर, भगवा पार्टी के दफ्तरों तक को जला रहा है। कमाल की आग भरी है इन अग्निवीरों में। इस आग को देखने के बाद, अब कोई भारत की तरफ आंख टेढ़ी करने की भी जुर्रत नहीं करेगा। और यहीं आता है मोदी जी का असली मास्टर स्ट्रोक। अग्निवीर नाम के इस एटम बम के सार्वजनिक डिमोन्स्ट्रेशन के बाद, संख्या-वंख्या के सारे सवाल बेमानी हैं। दूसरे हथियार-वथियारों की ताकत के सवाल भी बेमानी हैं। अब इन्हें चाहे कितना भी घटा लो। फौज को चाहे कितना ही दुबला बना लो। पांच लाख, दस लाख, कितना ही घटा लो। हथियार चाहे कितने ही कम करा लो। चाहे तो आत्मनिर्भरता की खातिर, छोटे अंबानी की कंपनी से लड़ाकू विमान बनवा लो। फर्क नहीं पड़ता है। बाकी कुछ भी होने न होने से फर्क नहीं पड़ता है।
अमिताभ बच्चन की दीवार फिल्म के डॉयलाग, ‘‘मेरे पास मां है’’ की तरह, नये इंडिया के पास अग्निवीर होगा! वैसे होने को हमारे पास भारत माता भी है, पर भारत माता के पास अग्निवीर है। सो एक बार फिर थैंक यू मोदी जी। बेशक, देश के युवाओं की सुध लेने के लिए भी थैंक यू। दो साल बाद नौजवानों को फौज में जाकर देश की सेवा करने का मौका देने के लिए थैंक यू। शतरंज के खिलाड़ी भाई अमित शाह को, राजनाथ सिंह, निर्मला जी वगैरह, वगैरह थैंक यू और थैंक यू, एक और मास्टरस्ट्रोक के लिए। और थैंक यू नये इंडिया में फौज, भर्ती, तनख्वाह, पेंशन जैसे कानों में चुभने वाले शब्दों की जगह, अग्निपथ और अग्निवीर जैसे सुंदर शब्द चलवाने के लिए। और हां थैंक यू बड़े बच्चन की कविता और छोटे बच्चन की फिल्म से राष्ट्र की रक्षा कराने के लिए भी। थैंक यू तहे-दिल से दूर दृष्टि वाले यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी को। ऐसे ही दूर दूर तक देखते रहिए देश और देश के जन हित में। थोड़ा और दूर तक देखते हुए एक और नियमावली संशोधन कि आवश्यकता है। जिसके पास चार साल अग्निवीर अनुभव प्रमाण पत्र रहेगा वही किसी भी सरकारी नौकरी या नेतागिरी सांसद, विधायक,मेयर, चेयरमैन, ग्राम प्रधान वगैरह वगैरह के लिए आवेदन के पात्र होगें। पूरा देश से भ्रष्टाचार भी खत्म हो जायेगा और देश की आम जनता को सिर्फ़ व सिर्फ देश प्रेमी ही मिलेगा। पेंशन खत्म से आने वाले समय में बहुत जोरदार वृद्धाश्रम भी चलेगा।