अटल के पथ पर योगी

गन्दी सोच का कुशल परिचय- जनसंख्या नियंत्रण
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ की बड़ी तैयारी है। ग्राम पंचायत से नगर निकाय तक दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले चुनाव नही लडेगे सांसद विधायक बनेंगे यह तो वही अटल बिहारी वाजपेयी की पथ पर अग्रसर दिखाई दे रहे हैं उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ। देश की आर्थिक स्थिति खराब की दशा में अटल बिहारी वाजपेयी देश भर में राज्य व केंद्रीय कर्मियों जो साठ वर्षों तक सरकारी विभागों में सेवा देते हैं का बुढ़ापे का सहारा पेंशन खत्म कर जनप्रतिनिधि जो पांच साल के लिए जनता द्वारा चुने जाते हैं, और हमारे ऊपर शाशन करते हैं, देश को कंगाल करते हैं का पेंशन बहाल रखा यह तो वही हुआ अपनी उल्लू सीधा करना अपने हित में काम करना। उसी पथ पर उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ भी चलते नजर आ रहे हैं। कानून देश के हर नागरिक के लिए बराबर होना चाहिए, व्यवस्था हर नागरिक को समान मिलना चाहिए। कानून संसोधन करने वाले अपने लेगें अपनी नेता बिरादरी को देगें दूसरे से छीन लेगें। आज जनसंख्या नियंत्रण संसोधन कानून मे भी वही हो रहा है ग्राम पंचायत नगर निकाय तक दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले चुनाव नही लडेगे, तो सांसद विधायक फिर क्यों बनेंगे। देश की जनता से अधिकार पाकर अपने हित में ही देश की सारी कानून संसोधन करना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है। देश के नेता देश की जनता के पैसे पर ऐशो आराम की जिन्दगी जी रहे हैं और देश की जनता को न रोजगार न दो जून की रोटी का फिक्र है। ऐसी राजनीति को ओछी मानसिकता की राजनीति न कहें तो और क्या कहें। अपना वेतन मनमानी बढा सकते हैं अपनी सरकारी सुविधाओं को जब चाहें बढा कर देश की जनता की पैसे पर शानो-शौकत की जिन्दगी जी सकते हैं और देश की जनता की बुनियादी सुविधाओं को दरकिनार कर अपने मस्त रह सकते हैं ये हैं हमारे देश के असली देश भक्त जो बातें तो चुनावों में जनता का वोट लेने के लिए बड़ी बड़ी करते हैं लेकिन काम अपने हित में करते हैं। आज अटल बिहारी वाजपेयी की देन है समान काम करने के बावजूद भी दो तरह का पारिश्रमिक देश की आर्थिक स्थिति खराब की दशा में संविदा व्यवस्था लाया गया देश की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगा समान काम का समान पारिश्रमिक मिलेगा आज सरकार हर विभागों में संविदा कर्मियों से ज्यादा से ज्यादा काम लेती है और स्थाई कर्मी अधिक वेतन पाकर चानी काटने हैं न काम का फिक्र न कोई भय जैसे लगता है अंग्रेजी हुकुमत में संविदा कर्मी अपना नौकरी बचा अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वहीं स्थाई कर्मियों पर न कोई दवाब रहता न कोई भय। जो लालि पाप देते हुए उत्तर प्रदेश योगी सरकार जनसंख्या संसोधन कानून जनहित में ला रही है जनसंख्या नियंत्रण तो होगा हर कोई बुद्धि जीवी वर्ग वैसे ही जनसंख्या नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए अपनी गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर रहा है। कुछ समुदाय जो जनसंख्या बढाने में अग्रसर हैं वे बच्चों की अच्छी परवरिश करने के बजाय अपनी कौम की बातों में आकर एक से अधिक शादी कर अधिक से अधिक बच्चों को पैदा करना ही अपना धर्म समझ रहे हैं महिलाओं को बच्चा पैदा करने की मशीन बना रहे हैं वैसे लोगों पर इस जनसंख्या नियंत्रण का संभवतः प्रभाव पडे़ जब वैसे लोगों को सरकारी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ेगा तब जनसंख्या नियंत्रण कारगर साबित होगा।  इस कानून पर कुछ अराजक तत्वों द्वारा सियासी, जुबानी जंग भी हो सकता है। जनता की बुनियादी समस्याओं को जेहन में रखते हुए ही जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर समय रहते भ्रम पैदा करने की बात पर भाजपा के विशेषज्ञों द्वारा पहले ही बताया जा रहा है कि कानून संसोधन से वर्तमान स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा आम जन की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह कानून संसोधन एक साल बाद से लागू होगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अभी तक जनसंख्या नियंत्रण पर की जाती रही तरह-तरह के सिर्फ नारेबाजी हम दो हमारे दो, छोटा परिवार सुखी परिवार आदि नारे को अमली जामा पहनाने की तैयारी में जुटी हुई थी। बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि आधुनिक भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है और अब जनसंख्या नियंत्रण के लिए योगी सरकार एक बड़ा कदम उठाई है। एक से दो बच्चों के अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं का अच्छा लाभ सराहनीय कदम है। राशन से लेकर सरकारी नौकरी, प्रमोशन, नगर निकाय तक ही नहीं बल्कि चौतरफा राजनीति में बढते कदम, हर तरह से सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाने का प्राविधान बना तो यह संसोधित कानून जनसंख्या नियंत्रण में कारगर साबित होगा। इस कानून से शिक्षित समाज में खुशी की लहर दौड़ेगी तो वही शिक्षा से दूर या महिलाओं को बच्चा पैदा करने की मशीन समझने वाले, एक छोड़ कई शादियाँ करने वाले, जनसंख्या बढ़ाने की सोच रखने वालों में बौखलाहट देखा जा सकता है। दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले को चुनाव लड़ना ग्राम पंचायत और नगर निकाय तक ही सीमित न रखा जाए विधानसभा लोकसभा चुनाव से भी वंचित कर दिया जाना चाहिए मंत्रालय में दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले को कोई स्थान नहीं देना चाहिए, अगर ऐसा हुआ तो उत्तर प्रदेश योगी सरकार जनहितैषी सरकार कही जायेगी। कानून सबके लिए बराबर बने तब ही न्यायप्रियता का प्रमाण मिलता है। एक बार फिर कहूंगा योगी आदित्य नाथ को अलट बिहारी वाजपेयी जैसा स्वार्थी नेता नही बनना चाहिए। और अपने ही अटल जी द्वारा लाई गई व्यवस्था पर विचार विमर्श करने के लिए आगे बढना चाहिए। एक समान कार्य का एक समान पारिश्रमिक और साठ साल सरकारी विभागों में सेवा देने वाले को भी बुढ़ापे की लाठी पेंशन व्यवस्था पर केन्द से विचार विमर्श करना चाहिए या न खायेंगे न खाने देगें देश हित में भुखे पेट भी सोना पड़ा तो सो जायेगें जैसी भावनाओं का कद्र करते कराते नेताओं का भी पेंशन व्यवस्था खत्म सरकारी सुविधाओं में कटौती का प्रस्ताव लाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को मिल कर विचार विमर्श करना चाहिए। आज अटल जी नही रहे, अच्छा कार्य करते हुए भी संविदा कर्मियों सहित राज्य व केंद्र कर्मियों द्वारा हेय दृष्टि से देखे जा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी एक अच्छे नेता जरुर थे देश हित में भी अच्छा काम किया कर्ज से डूबे भारत को कर्ज मुक्त किया लेकिन संविदा कर्मियों के भविष्य को अंधकार में डाल दिया। आज बढ़ती महंगाई और अपने परिवार में बेरोजगारी से दबे-कुचले संविदा कर्मियों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है जो प्रदेश से देश तक एकक्ष भाजपा सरकार के लिए एक चिन्ता का विषय होना चाहिए। आज पूनः भाजपा की चल रही सरकार अपने ही नेता अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लाई गई व्यवस्था के तहत संविदा कर्मियों का भविष्य सुरक्षित नही कर सकी, पूनः पेन्शन व्यवस्था वापसी या नेताओं का भी पेन्शन खत्म करने पर विचार नही कर रही है। नेताओं को जनप्रतिनिधि कहा जाता है देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना उद्देश्य होना चाहिए जैसे आज भी देश का चौथा स्तम्भ पत्रकार कर रहे हैं। नेता अगर स्वार्थी न होते तो संविधान के चौथे स्तंभ पत्रकारों के समान ही रहना उचित समझते। अटल बिहारी वाजपेयी कुछ ऐसा काम कर गए जो आज एक अच्छे नेता कहे जाने के योग्य नही हैं। देश और प्रदेश में प्रमुख पदों पर तो जो जनसंख्या नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए शादीशुदा जिन्दगी से अलग रहने की छमता रखता हो वही रहे उचित है। लेकिन देश की आम जन के प्रति निर्मोही और अपने कौम के प्रति दयावान न बने अच्छी राजनीति का कुशल परिचय देते हुए जन हित पर भी विचार किया जाना चाहिए। यह भी बहुत उचित है खाओ पिओ खुब मस्ती करो बस बच्चा पैदा न करो। अटल जी तो चले गए योगी मोदी को सोचना चाहिए जनता जनहितैषी मानती है तो ऐसा कानून न बनाओ जो अपने पर लागू न हो यह कहा का न्यायप्रिय होगा ता उम्र सरकारी विभागों में सेवा देने वाले की पेंशन खत्म और पांच साल के लिए जनता से वोट पाकर जनता की सेवा करने की भाव लिए सासंद विधायक बन पेन्शन के हकदार बने रहें। आते हैं मुल मुद्दे पर अब हमारी समझ से इस जनसंख्या नियंत्रण कानून को लागू करने के साथ-साथ भ्रुण हत्या कानून को खत्म कर देना चाहिए। क्योंकि गृहस्थ जीवन में आकर शारीरिक सुख का आनंद भी लेना आवश्यक है जब इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए स्त्री पुरुष सम्बन्ध बनाते हैं तो अनचाहे में भी कभी-कभी गर्भ धारण हो जाता है। उस स्थिति में जनसंख्या नियंत्रण की सोच रखने वाले भ्रुण हत्या तो करेंगे ही और जब भ्रुण हत्या जुल्म है तो अनजाने में ही जनसंख्या नियंत्रण की सोच रखने वाले भी कानून के शिकंजे में आते हैं और चोरी चुपके भ्रुण को नष्ट करने के नाम पर डाक्टरों द्वारा अच्छी खासी रकम भी वसुली जाती है। जनसंख्या नियंत्रण संसोधन लागू हुआ तो भ्रुण हत्या बढेगा ही। तत्काल जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्षधर योगी सरकार को भ्रुण हत्या संसोधन पर विचार विमर्श करना चाहिए। देखा जा रहा है अब तक जनसंख्या नियंत्रण नारेबाजी से नही हुआ। उचित है कानून बना कर अमलीजामा पहनाया जाए सही से अमली जामा पहनाया गया तो कारगर असर दिखेगा जनसंख्या नियंत्रण में यह तो निश्चित है। बुद्धि जीवी वर्ग यह भी अनुमान लगाने मे चुक नही कर रहा है सरकार अपनी योजनाओं से हमे क्या मुहैया करा रही है। फिर भी जनसंख्या नियंत्रण के पक्षधर रहेगी ही क्योकि जनसंख्या विस्फोट आधुनिक भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है और अब जनसंख्या नियंत्रण के लिए योगी सरकार एक बड़ा कदम उठाने वाली है। 11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस और इसी दिन का योगी आदित्य नाथ को इन्तज़ार भी था। योगी आदित्यनाथ नई जनसंख्या नीति घोषित करने की तैयारी में लगे हैं। देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नीति 2021-2030 का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या स्थिरिकरण है। इसके अलावा नई जनसंख्या नीति के जरिए राज्य में नवजात मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर कम करने की भी कोशिश की जाएगी। नई जनसंख्या नीति के तहत किशोरों और बुजुर्गों का सही देखभाल और पोषण का भी ध्यान रखा जाएगा ऐसा मै उम्मीद करता हूँ। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी भी कई बार जनसंख्या वृद्धि को देश के विकास में सबसे बड़ी समस्या बता चुके हैं। साल 2019 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण को राष्ट्रभक्ति बताया था। मोदी ने उस दौरान कहा था कि छोटे परिवार की नीति पर चलने वाले दरअसल राष्ट्र के विकास में योगदान ही करते हैं, यह भी देशभक्ति का ही एक रूप है। प्रधानमंत्री मोदी के इसी संदेश को अब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। अभी उम्मीद की जा रही है कि कानून संसोधन देश के हर नागरिक के हित में बराबर होगा जो आम जन सहित खुद अपने नेता विरादरी जो कानून संसोधन में मदद करेगी सभी पर एक समान लागू होगा। अटल बिहारी वाजपेयी जैसा नेताओं के प्रति स्वार्थी बन कानून संसोधन उम्मीद है कि योगी आदित्य नाथ नही करेंगे। असम की बीजेपी सरकार भी जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने को लेकर कानून ला रही है। जिससे लिए सीएम हिमंत बिस्वा शर्मा की टीम ने एक मसौदा भी तैयार कर लिया है। हाल ही में शर्मा ने कई क्षेत्रों से जुड़े 150 से ज्यादा मुस्लिम बुद्धजीवियों से मुलाकात की थी। जिसके बाद सीएम की तरफ से कहा गया था कि, वे सभी इस बात पर सहमत थे कि राज्य के कुछ हिस्सों में जनसंख्या वृद्धि विकास के लिए खतरा है। शर्मा ने कहा था कि, बैठक में शामिल हुए सभी लोग इस बात पर सहमत थे कि असम के कुछ हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट राज्य के विकास के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने आगे कहा था अगर असम भारत के पांच शीर्ष राज्यों में से एक बनना चाहता है तो हमें अपने जनसंख्या विस्फोट को प्रबंधित करना होगा। इस बात पर सभी सहमत हुए। योगी सरकार का चाबुक जनसंख्या नियंत्रण पर चलना सराहनीय है। बिना भेद-भाव कानून संसोधन जन हितकारी होगा शिक्षित समाज तो समर्थन कर ही रहा है। भ्रमित और अशिक्षित समाज को भी तहे-दिल इस योगी सरकार द्वारा जनहितकारी जनसंख्या नियंत्रण संसोधित कानून का स्वागत करना चाहिए।
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