औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं 
इस बात को लेकर अलग-अलग मतभेद है। यह सत्य है कि लिंग पुरुष अंग होता है लेकिन शिवलिंग का तात्पर्य शिव का सिर्फ लिंग नही बल्कि एक चिन्ह या प्रतीक कहा जा सकता है जो सर्वशक्तिमान भगवान महादेव, सहित जगत-जननी, जगदीश्वर व श्रृष्टि रचयिता ब्रह्मदेव की याद दिलाता है। शिव ही सम्पूर्ण हैं और जो एकमात्र सम्पूर्ण है पर हम जगत मे आने-जाने वालों को ज्यादा तर्क नही करना चाहिए। धर्मग्रंथों का मंथन करने पर यह तथ्य सामने आता है कि शिवलिंग में त्रिदेव सहित जगत-जननी विधमान हैं। शिवलिंग में सबसे नीचे भाग ब्रह्मा, उसके ऊपर विष्णु फिर गोलाकार नाली आकृति जगत-जननी का गर्भ भाग में शिव का प्रतीक स्थापित है। शीर्ष भाग शिवलिंग पर जल डालने से जगत-जननी को स्पर्श हो बाहर निकल जाता है। सबसे ऊपर आकृति शिव फिर जगत-जननी रुपा सती का गर्भ भाग उससे नीचे विष्णु और सबसे नीचे ब्रह्मा को हम सब छूकर प्रणाम करते हैं। जबकि आम धारणा है कि हमने शिवलिंग को छूकर पूजा अर्चना की। यह रहस्य बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होगा शिव लिंग में कौन सा भाग किसका प्रतिक है, रहस्य को थोड़ा उजागर करता आज का कंटेंट... औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं। पर शिवलिंग में कौन सा भाग किसको दर्शाता है, पहले यह जानकारी होनी चाहिए। विस्तार पूर्वक बताने के लिए मुल प्रश्न से थोड़ा हटना भी पड़ेगा, जिस कारण कंटेंट थोड़ा बड़ा होगा अंत तक पढ़ने पर मन में उत्पन्न ऐसे प्रश्नों का उत्तर मिलेगा। किसको कौन सा भाग छूना चाहिए कौन सा भाग नहीं छूना चाहिए। औरतों को शिवलिंग में ऊपर से दूसरा भाग जिसमें जल एकत्रित हो नालीनुमा भाग से बाहर निकलता है को छूकर ऊपर भाग को प्रणाम करना चाहिए। इससे देवी पार्वती सहित महादेव प्रसन्न होते हैं और शिव-शक्ति दोनों का आशिर्वाद प्राप्त होता है।
कुछ मत है कि कुवांरी लड़कियों को शिवलिंग नहीं छूना चाहिए। स्यम् जगत-जननी से सम्पूर्ण हो शिव सर्वेश्वर हैं इनकी अराधना देव, असुर मानव दानव सभी को करने का अधिकार प्राप्त है। विश्वेश्वर महादेव किसी में भेदभाव नहीं करते हैं। कुछ मान्यतानुसार शिवलिंग को छूकर पूजा अर्चना करने का अधिकार सिर्फ पुरुषों को है। ज्यादातर लोगों को यह भी ज्ञात नहीं कि शिवलिंग में त्रिदेव सहित जगत-जननी भी विधमान हैं। तो वैसे लोगों के मन में उत्पन्न शिवलिंग के प्रति प्रश्नों का उत्तर आज के कंटेंट में। कुछ मतानुसार स्त्रियों को शिवलिंग पर ऊपर से जलाभिषेक करने का अधिकार है, छूने का नही। माना जाता है शिव ज्यादातर तपस्या में रहते हैं, औरतों द्वारा शिवलिंग छूने पर शिव की तंद्रा भंग होती है और क्रोधित हो जाते हैं। औरतों द्वारा शिवलिंग को छूकर पूजा अर्चना करने पर आदिशक्ति जगत जननी स्वरुपा देवी पार्वती रुष्ट होती हैं और मनवांछित फल नही मिलता। यहीं पर इस दुविधा को दूर करने के लिए एक उदाहरण। पति-पत्नी एक दूसरे का जीवन साथी होते हैं। वैसे ही जगत-जननी पार्वती और शिव पति-पत्नी हैं। सामान्य तौर पर... क्या पति के गुप्त भागों को किसी अन्य स्त्री द्वारा छूए जाने पर पत्नी को सहन होगा, तो सबका जबाव होगा.... नही। और पत्नी के गुप्त भाग को किसी अन्य पुरुष द्वारा छूए जाने पर क्या पति को सहन होगा... नही। ठीक इसी प्रकार जब शिवलिंग पर मंथन किया जाएगा तो जबाव यही निकल कर मिलेगा अपने अपने अधिकार अनुसार ही विभाजित चार भागों में ऊपर पुरुष उसके बाद स्त्री फिर नीचे दो भाग पुरुष स्त्री दोनों ही छूकर पूजा अर्चना करना चाहिए। शिवलिंग में ऊपर भाग कि आकृति बना सर्वप्रथम पूजा सती ने किया था और शिव को पति रूप में प्राप्त की जो आज भी हिमालय के अमरनाथ जी मे बर्फ के रूप में उत्पन्न व खत्म होता है। शिवलिंग की वर्तमान आकृति सती द्वारा शरीर त्याग करने के बाद हुआ। जिसमें ब्रह्मा विष्णु सती और शिव एक रुप हैं। शिवजी से मनवांछित फल पाने के लिए औरतों को शिवलिंग का ऊपरी भाग बिना छूए जलाभिषेक व प्रणाम कर पूजा सम्पन्न करनी चाहिए। औरतों द्वारा शिवलिंग में ऊपरी भाग का स्पर्श किए बिना शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शिव के साथ-साथ मां पार्वती का भी आशिर्वाद मिलता है। 
तो आइये जानते हैं रहस्य.... शिवलिंग में विभाजित चार भाग होते हैं। कुछ धर्म ग्रंथों में तीन भाग का ही जिक्र किया गया है नीचे ब्रह्म, मध्य विष्णु, ऊपर महेश। सबसे अधिक सुस्पष्ट नाली नूमा भाग का जिक्र नही है। जो भाग जगत-जननी का सती का प्रतीक है। यही भाग सर्वशक्तिशाली कामाख्या शक्तिपीठ के रूप में स्थापित है। इसे विस्तार से स्पष्ट करते हुए लिखने पर कंटेंट ज्यादा बड़ा होगा इतना जिक्र किया समझने के लिए उपयोगी है। विस्तार से जानने के लिए अगला आर्टिकल शिवलिंग की उत्पत्ति स्थापना का रहस्य, इंतजार किजिये।
शिवलिंग में सबसे ऊपर भाग शिव का प्रतीक है इस भाग को औरतों को नही छूना चाहिए यह शिव भाग पुरुष छूकर पूजा अर्चना करें श्रेष्ठतम फल प्राप्त होगा। जिस गोलाकार भाग में जल एकत्रित हो नालीनुमा भाग से बाहर निकलता है को कुवांरी व विवाहित स्त्रियां छूकर पूजा अर्चना कर, ऊपर भाग बिना छूए शिव को प्रणाम करें शुभदायी फल प्राप्त होता है। जल एकत्रित हो बाहर निकलने वाला गोलाकार नालीनुमा भाग पुरुषों को कदापि नहीं छूना चाहिए। वहीं अगर पति-पत्नी जोड़े में दर्शन पूजन करते हैं तो शिव सहित जगत-जननी का भाग दोनों को एक साथ छूने का अधिकार है। उस स्थिति में अगर पुरुष का हाथ ऊपर शिव के प्रतीक और स्त्री का हाथ नालीनुमा आकृति को छूकर आशिर्वाद ले तो सबसे ज्यादा फलदायी होता है। लडकियां शिवलिंग की पूजा इसलिए करती हैं कि आदि पुरुष शिव ने आदिशक्ति स्वरूपा जगत-जननी को छोड़कर अन्य कोई स्त्री को नही छूआ। स्त्री आदिशक्ति कि अंश मानीं गई हैं और पुरुष शिव अंश इस तथ्य को ध्यान में रखकर देखा जाए तो शिवलिंग छूकर पूजा करने का अधिकार सबको है। सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सर्वशक्तिशाली सर्वप्रथम आदिशक्ति का होना तमाम धर्म ग्रंथों में पाया गया है।
आदिशक्ति जगत जननी से उत्पन्न त्रिदेव हैं इसका उल्लेख- जानिए अपने पूर्वजों की उत्पत्ति कौन किसके वंशज, में किया हूं। जो बहुत सारे धर्म ग्रंथों का मंथन के बाद लिख पाना सम्भव हुआ। शिव मतलब शव जो आदिशक्ति से परिपूर्ण हो सम्पूर्ण बने हैं। कोई भी शरीर से शक्ति अलग हो जाती है तो शरीर शव बन जाता है। शव रुपी शरीर में समाहित शक्ति जो जगत-जननी से सभी को प्राप्त है से शरीर संचालित होता है। जब-जब शिव से उनकी शक्ति रुपा अर्धांगिनी जगत-जननी अलग होती हैं शिव योग निद्रा गंभीर तपस्या में चले जाते हैं। और शिव रूपी शरीर जो हम सबको प्राप्त है से शक्ति का अलग होना ही मृत्यु है। सम्पूर्ण तथ्यों का मंथन करने के बाद यह स्पष्ट है शिवलिंग का ऊपरी भाग औरतों को नही छूना चाहिए शेष तीन भाग में गोलाकार नालीनुमा आकृति जगत-जननी का प्रतीक, उसके नीचे विष्णुजी और सबसे नीचे भाग ब्रह्मदेव को महिलाएं छूकर पूजा अर्चना कर सकती हैं। वहीं गोलाकार नालीनुमा भाग को छोड़कर शेष तीन भाग जो ऊपर शिव तीसरे विष्णुजी और नीचे ब्रह्मदेव को छूकर पूजा-अर्चना पुरुषों को करना चाहिए। वैसे ब्रह्मदेव की पूजा का कोई महत्व नहीं है। 
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