!!! चर्चे एलेक्शन!!!- गीत स्वरचित रचना वन्दना जी
!!! चर्चे एलेक्शन!!!
गीत स्वरचित- वन्दना जी
चलें जब-जब चर्चे एलेक्शन,
होओओओओ…..
चलें जब-जब चर्चे एलेक्शन
हो उड़ें जब-जब पर्चे एलेक्शन।
तो नेता जी का मन बदले,
हो नेता जी का मन बदले।
जिंदमेरिए…..
जब जनता चले वो ठगने,
हो जनता चले वो लूटने।
तो कैसे न नियत बदले,
हो कैसे न नियत बदले
जिंदमेरिए…..
रुत गाँव चलन की आई,
हो रुत द्वार चलन की आई।
कि रेलियों के ढ़ेर लग ग्ए,
कि रेलियों से द्वार खुद ग्ए
जिंदमेरिए…..
कभी जिसने नज़र नही फेरा,
कि कभी जिसने नज़र नही फेरा।
वो ड्योढ़ियो की धूल चट ग्ए,
वो ड्योढ़ियो की धुल चट ग्ए।
जिंदमेरिए…..
उस गाँव पे भी जा रहे सदके,
हो उस गाँव पे भी जा रहे सदके।
जो नक्शे में नही दिखता,
हो जो नक्शे में नहीं दिखता
जिंदमेरिए…..
तेरे काम के बहाने आये,
हो मेरे मेरे काम के बहाने आये।
देंगे तुम्हें जीटी रस्ता
हो देंगे तुझे जीटी रस्ता
जिंदमेरिए…..
झूठे मुकाम के बहाने आये,
कुछ नाम के बहाने आये ।
घूम रहे घर-घर में,
कि घूम रहे घर -घर में
जिंदमेरिए…..
अभी दिखलाऐंगें सब करके,
हो अभी दिखलाऐंगें सब करके।
कि वोट मेरी पड़ जाने दे,
हो वोट बैरी पड़ जाने दे
जिंदमेरिए…..
वो पैर पिये जी धुल-धुल के,
जी पैर पिऐं वो धुल-धुल के।
कि नेता तुम्हें घर देगें,
हो नेता आज घर देंगे
जिंदमेरिए….
करें कुछ भी मगर वो ही करना,
हो करें कुछ भी मगर वही करना
कि जनता का दिल पिघले,
जिससे जनता का दिल पिघले
जिंदमेरिए…..
चलें जब-जब चर्चे एलेक्शन
हो उडे जब -जब पर्चे एलेक्शन।
नेता जी का मन बदले,
हो नेता जी का मन बदले।
जिंदमेरिए…..
वंदना जी-कवयित्री, लेखिका एवं (पत्रकार)