जिंदगी का सही वसूल-

कवयित्री, लेखिका, वरिष्ठ पत्रकार- वन्दना 
जिंदगी का सही वसूल है परिश्रम...बिना परिश्रम के  कुछ भी हासिल नही होता, जिंदगी जीने का सबका अलग अंदाज़ होता है.. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वक्त की थपेडे खा-खाकर टूट जाते हैं और जिंदगी क्या है भूल जाते हैं, यह परिस्थिति अक्सर गांवों में घरेलू महिलाओं, पुरुषों अथवा गरीब परिवारों में देखने को मिलती हैं.. लोग परिस्थितियों से हार कर टूटते हैं.. पर उन्हें कुछ ओछी सोच व मूर्ख लोग उपहास की सीढ़ी पर बैठ हालात के मारों को बिखेर देते हैं। ऐसे मे बस एक ही संदेश पहुंचाना चाहुंगी अपने उन भाई बहनों को... कि दुनिया वाले क्या कहेंगें या क्या कह रहे हैं इस बात को ध्यान में न रखकर अपना जीवन जियें की बस कोई काम ऐसा न हो जो मानवता को ठेस पहुंचे.. काम चाहे जो भी हो खुश होकर पूरी लगन व मेहनत के साथ करें.. शर्म किसी काम को करने में नही है बल्कि. किसी पर उंगली उठाना, किसी का उपहास करना, किसी की भी छोटा या बड़ा समझना मुंह देखकर पक्षपात करना यही शर्म की बाते हैं वास्तव में यही काम सबसे गंदे और नीच हैं शर्म आने के योग्य हैं.. लकड़ी काटना, कूडा उठाना, झाडू मारना और भी अन्य सभी काम परिश्रम कहलाते हैं इनमें शर्म की कोई बात नहीं आप परिश्रम कर रहें हैं वक्त को हरा रहे हैं यह गर्व की बात है.. देखा गया है कि जो लोग कलाकारी, हुनर ऐसे काम करने से दबा देते हैं तो बिल्कुल गलत हैं.. याद रहे मंजिल परिश्रम करके ही मिलती है.. परिश्रम करके यह सोचना कि रोटी तक ही अरमान सिमट कर रह गये हैं, तो यह गलत हैं.. यकीन मानिए एक दो दिन में न सही पर वर्षों तक अपनी प्रतिभा को बरकरार रखना ही सफल परिश्रम है यही परिश्रम यही तपस्या सच्ची लगन तुम्हें कामयाबी तक ले जाती है. तब वही लोग जो कल आपका उपहास कर रहे थे, आप पर उल्टे-सीधे इल्ज़ाम लगा रहे हैं. आज वे सिर्फ धरा पर गंदे कीचड़ की भांति एक ही स्थान पर पडे हैं और आप अपनी सच्ची लगन, मेहनत और नेक इरादों से आसमान में ध्रुव तारे की भांति जगमगा रहें हैं और दुनियां में एक अमर नाम हैं.. वक्त को मात देना हालातों का सामना करना मुश्किलों को हराना और अपनी मंजिल का रास्ता स्वयं बनना विषम परिस्थितियों में भी नियंत्रण बनाये रखना यही जीवन का सार हैं.. इसे ही जीवन कहते हैं यही हैं जिंदगी को जीना।
तो कभी हार न मानें और कठिनाईयों को सुलभ बनाकर जिंदगी को आसान कर लें। नकारत्मक विचारों का त्याग करके सदा खुश रहेंं।।
लेखिका कवियत्री एवं वरिष्ठ पत्रकार - वन्दना 
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