संविदा कर्मी होगें नियमित पुरानी पेंशन बहाल की आस जो ध्वस्त कर दी भाजपा ठीक करेंगे - अरविंद केजरीवाल

आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल से भाजपा के नाक में दम कर रखा है। ‌10 साल में नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करके दिल्ली समेत पंजाब में अपनी सत्ता कायम कर ली है। ‌ 
वर्तमान सत्ता दल भाजपा को यह रास नहीं आ रहा है। अंतरिम जमानत पर छूट कर चुनाव प्रचार करने वाले अरविंद केजरीवाल भाजपा के गले की हड्डी बन गए हैं। ‌ गोदी मीडिया में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ खबरें चलाई जा रही है। ‌ बताया ऐसा जाता है जैसे कि अदालत ने आरोप घोषित कर दिया है। ‌ 

अरविंद केजरीवाल भारतीय जनता पार्टी के झूठ उजागर करते हुए बड़ी भूमिका में नजर आ रहे हैं

लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा आया है कि अरविंद केजरीवाल अपनी अच्छी राजनीति के चलते लगातार भारतीय जनता पार्टी के झूठ को उजागर करते हुए नजर आ रहे हैं। ‌ ऐसे में भाजपा के इशारे पर गोदी मीडिया राहुल गांधी को पप्पू और केजरीवाल को बेईमान साबित करने में डटी हुई है। ‌हालांकि इस बार भारतीय जनता पार्टी की दाल नहीं गल पाई है। ‌ 
चुनाव के समय अंतरिम बेल सुप्रीम कोर्ट से मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल एक के बाद एक मुद्दे उठाने शुरू कर दिया है तो इधर गोदी मीडिया सिलेक्टेड लोगों का इंटरव्यू लेकर अरविंद केजरीवाल पर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया है। ‌ 

बेरोजगारी महंगाई और विकास बन गया है चुनाव का मुद्दा

बहरहाल भारत की जनता केंद्र सरकार की सत्ता के नीतियों से परेशान है। महंगाई बेरोजगारी और विकास के नाम पर किए गए वादे पूरे नहीं किए गए। इसको आधार बनाते हुए अरविंद केजरीवाल भाजपा पर वार कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिटायरमेंट का बात करके गोदी मीडिया को अपने रिपोर्टिंग में मोदी की वाह वाही करने का एक मौका और दे दिया।

बेरोजगारी के मुद्दे पर संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी देने के वादे से भाजपा परेशान है 


आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इलेक्शन 2024 को एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया है। जहां भाजपा पार्टी की जुबानी जंग का जवाब देते हुए उन्होंने देश हित में 10 गारंटी रखी है। जिसे इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर लागू किया जाएगा। संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी देने की गारंटी जनता को बहुत ही पसंद आ रही है। ‌यही नहीं शिक्षा और स्वास्थ्य में भी सुधार करके आम लोगों तक क्वालिटी एजूकेशन और क्वालिटी हेल्थ सिस्टम पहुंचाने के लिए अरविंद केजरीवाल की गारंटी शहरी और ग्रामीण मतदाताओं के मन की बात है। 
बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों से मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अग्नि वीर योजना जैसी स्कीम लेकर आते हैं, जिससे युवाओं को संविदा वाली नौकरी ही हासिल होती है। 
‌इसके साथ ही उनके शासनकाल में सरकारी नौकरियों का आकाल और महंगाई आसमान चढ़ती हुई नजर आ रही है। ‌ ऐसे में मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता की जरूरत को समझ नहीं पा रहे हैं केवल पूंजी पतियों के इर्द-गिर्द ही अपना जीवन काट रहे हैं। ऐसे में मतदाता नरेंद्र मोदी को क्या वोट करेंगे इस पर संदेह निश्चित नजर आ रहा है। ‌
संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी देने की अरविंद केजरीवाल का वादा भाजपाइयों के गले उतर नहीं रही है। इस पर एक बेहतरीन रिपोर्ट हम आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं। निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता की आवाज के अगवाकर आप बने रहिए हमारे खबरों को शेयर करते रहिए। देश हित में बात करने वाले अरविंद केजरीवाल ने चीन से अपनी जमीन लेने की बात कह कर भाजपा की नींद उड़ा दी है। 

भाजपा शासन काल में अपने लोगों को ही रेवड़ियां बांटी गई है ऐसे में कई सरकारी नौकरी में पक्षपात के मामले भी अंदर ही अंदर नजर आ रहे हैं। संविदा पर आधारित नौकरी देश का भला नहीं कर सकती है क्योंकि अगर आम जनता आर्थिक रूप से सुरक्षित नहीं है तो वह देश की सेवा कैसे कर पाएगा। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की 10 गारंटी में पक्की सरकारी नौकरी का वादा इस चुनाव में जनता को आकर्षित कर रही है। 

गोदी मीडिया क्यों नहीं करती है कांग्रेस के मेनिफेस्टो का विश्लेषण

गोदी मीडिया नरेंद्र मोदी के मेनिफेस्टो की बात नहीं करती है, इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल के 10 गारंटी का विश्लेषण अपने कार्यक्रम में नहीं कर रही है, राहुल गांधी के अप्रेंटिसशिप योजना की बात का विश्लेषण नहीं करती है। केवल सत्ता पक्ष की गुणगान में गोदी मीडिया मस्त है। गोदी मीडिया क्या परंपरा 2014 से शुरू हुई है? क्या 2024 में सरकार बदलने के बाद गोदी मीडिया का अस्तित्व नई सरकार के प्रति झुकाव की ओर हो जाएगा ? इस पर भी हम एक स्पेशल आर्टिकल आपको अगले दिन देने जा रहे हैं तब तक आप अरविंद केजरीवाल की गारंटी और संविदा कर्मी कर्मचारियों को पक्की नौकरी के इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़े। 

अरविंद केजरीवाल की परमानेंट सरकारी नौकरी की गारंटी

अपने दस गारंटी में संविदा कर्मियों को नियमित करने और संविदा व्यवस्था को खत्म कर परमानेंट कर्मी के रूप में भर्ती करने व अग्निवीर योजना के तहत चार साल की नौकरी को स्थायी नौकरी में बदलने, पुरानी पेंशन की आस दे भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती खड़ा कर दिये हैं।

बहुमत के बावजूद भी बीजेपी सरकार नहीं कर पाई अपने दो करोड़ नौकरी का वादा पूरा

दस वर्षों से पूरी बहुमत की भाजपा सरकार ने जो कुछ भी करने से कतराती रही वो सब केजरीवाल इंडिया गठबंधन की सरकार आते करने का वादा कर जनता को आकर्षित कर रही है। इसके साथ ही दिल्ली और पंजाब के विकास को देखकर जनता पहले ही ट्रेलर जाध चुकी है। वही मोदी 10 साल के ट्रेलर में केवल बेरोजगारी और महंगाई देकर तीसरी बार चुनाव जीतने का ख्वाब देख रहे हैं। यह ख्वाब जनता की मदद न करके, पूंजी पतियों की मदद करके देखी जा रही है। इसमें गोदी मीडिया पत्रकारों की एक बड़ी भीड़ भी उनके चेहरे को बढ़ाकर दिखा रही है। ‌जनता का भ्रम अब टूट चुका है, मोदी को दिए गए 10 साल का हिसाब जनता अब मांग रही है। ‌ 

बीजेपी कभी सत्ता में आने के लिए करोड़ों और नौकरियां देने का वादा करती थी जब उनसे सवाल पूछा गया तो‌ पकोड़े तलने को उन्होंने रोजगार बता दिया। ‌गोदी मीडिया पत्रकार इन सब खबरों को 10 साल तक जनता के सामने परोसते रहे हैं और महंगाई बेरोजगारी के मुद्दे पर बात न करके अपने दर्शकों को गुमराह करते रहे हैं। ‌

भाजपा इस चुनाव में कमजोर पड़ रही है जाने कैसे? पूरी खबर
 

new update election 2024: याद करिए 2014 के चुनाव के समय जब पत्रकारिता विपक्ष की पत्रकारिता के रूप में जनता के मुद्दे उठा रही थी। विपक्ष में खड़ी भाजपा को इसका फायदा मिला क्योंकि कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ी पार्टी के रूप में भारतीय जनता पार्टी ही विपक्ष में थी। 
मनमोहन के सरकार में महंगाई बेरोजगारी के मामले को मीडिया ने प्रमुखता से उठाया था। जनता का साथ दिया और भाजपा के नेताओं ने बड़े-बड़े वादे किए। महंगाई बेरोजगारी दूर करने के लिए अपने वादे से सत्ता हासिल बीजेपी ने कर लिया। इधर मीडिया को गोदी मीडिया बनाकर, पिछले चुनाव  2019 और अब  2024 में सत्ता पक्ष की गोदी में बैठकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों ने जनता को भ्रम में डाला। 

‌विपक्ष के चेहरे को पप्पू व बेईमान साबित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। इस कारण से राजनीतिक गलियारों में भाजपा की नाकामयाबी की चर्चा नहीं हुई। ‌यूट्यूब और सोशल मीडिया के जरिए खूब प्रोपेगेंडा भाजपा द्वारा किया गया। जिससे एक बनावटी माहौल बनाया गया जिससे बताया गया कि भारतीय जनता पार्टी का काम बहुत शानदार है। ‌इस काम में खरीदी हुई गोदी मीडिया को लगाया गया। 

धीरे-धीरे माहौल बदलने लगा गोदी मीडिया का झूठ बड़ा अजीब सा लगने लगा। 2024 के भारत में यूट्यूब सोशल मीडिया पर लोग एक्टिव होकर जब चर्चाएं सुनाने लगे तो पता चला कि एक भ्रम की स्थिति गोदी मीडिया (Godi media) और उनके पत्रकारों द्वारा बनाया गया है। जिसमें भारत की वास्तविक तरक्की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की तरक्की हुई है। ‌

अडानी, अंबानी और कुछ पूंजीपतियों पर लगातार कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि वह भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। भाजपा को फायदा पहुंचा रहे हैं। भाजपा उन्हें फायदा पहुंचा रही है। ‌ हालांकि कोई भी सत्ता हो पूंजी पत्तियों से फायदा लेती है लेकिन यहां पर लगातार अडानी अंबानी के हाथ सब कुछ बेचा जा रहा था जो जनता को नागवारा लगा। विपक्षी के इस विरोध को गोदी मीडिया ने कभी तवज्जो नहीं दिया और गोदी मीडिया देखने वाले असली खबर की सच्चाई समझ नहीं पाए।

सोशल मीडिया पर भी भाजपा पर कसा जा रहा है करारा तंज 

2024 में पासा बिल्कुल पलट गया है, जनता इससे नाराज है। भाजपा के बड़े नेता भी अब सामने नहीं आ रहे हैं। हर तीन में से एक मतदाता पूरी तरह बेरोजगार है। महंगाई से लोग परेशान हैं। 
स्मृति ईरानी महंगाई के खिलाफ लड़ने वाली अब बढ़ती हुई महंगाई पर चुप हैं तो वहीं पर पेट्रोल सस्ता दिलाने के लिए कांग्रेस से लड़ने वाले बाबा रामदेव भी नजर नहीं आ रहे हैं। ‌ इन सब बातों पर यूट्यूब पर ढ़ेरों सारे वीडियो मौजूद है जो अलग-अलग डेवलपर और क्रिएटर द्वारा बनाए गए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता जब इन वीडियो को भर भर कर देख रही है तो निश्चित तौर पर अब माहौल भाजपा के खिलाफ चल गया है। यह बात किसी से छिपी नहीं है, क्योंकि सोशल मीडिया एक ऐसा आईना है जो बता देता है कि किसके गिरेबान में क्या है ? 

इधर सोशल मीडिया यूट्यूब पर भाजपा के नाकामयाबी का खूब मजाक बनाया जा रहा है जिस पर भर भर के उनके खिलाफ कॉमेंट आम जनता लिख रही है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार 400 के पार बहुत ही मुश्किल है, हो सकता है कि बेड़ा पार हो जाए यह कहना सही है। लेकिन जब तक चुनाव के नतीजे नहीं आते हैं तब तक किसी नतीजे पर पहुंचना सही नहीं है लेकिन गोदी मीडिया तो प्रोपेगेंडा के तहत भाजपा को जीताते हुए अपनी रिपोर्ट और कार्यक्रम में नजर आते हैं।

अपने 10 साल की चुनावी वादों में फेल रही भाजपा

विकास बेरोजगारी महंगाई की अपने वादे में जहां नाकामयाब  रही भाजपा, इस बार हिंदू मुस्लिम भी भाजपा का नहीं चल रहा है ऐसे में गोदी मीडिया ही एकमात्र सहारा उनके लिए बचा हुआ है। 

इधर जब अपोजिशन के राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल ललकार कर कहते हैं कि हम किसी से भी डिबेट करने के लिए तैयार हैं। भाजपा का कोई भी नेता हमसे डिबेट कर ले या नरेंद्र मोदी ही हम लोगों से डिबेट कर लें ऐसे में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस देखते बनता है। जिससे जनता को एक नई उम्मीद उनमें दिखाई देती है। इंडिया गठबंधन मजबूत होती हुई नजर आ रही है। 

जबकि चुनाव के समय ईडी का डंडा विपक्षी पार्टियों में चला कर उनके नेताओं को अपने खेल में शामिल करने के आरोप का भाजपा के पास कोई जवाब नहीं है। ऐसे में जनता सब कुछ जानती है कि सत्ता भाजपा के हाथ में है, वे किसी को भी झूठे मामले में फंसा कर जेल भेज सकते हैं। अरविंद केजरीवाल जेल से छूटने के बाद जिस तरीके से नरेंद्र मोदी को तानाशाह कहा इससे पता चलता है कि विपक्ष बहुत तेजी से मजबूत होती जा रही है। 

सोशल मीडिया पर भाजपा की हो रही है किरकिरी 

जिस प्रकार 2014 में भाजपा के मेनिफेस्टो को तिल का ताड़ बनाकर बड़ी बड़ी मीडिया द्वारा जन जन के मन को छूआ गया, उसका थोड़ा हिस्सा भी केजरीवाल और कांग्रेस के मेनिफेस्टो को बड़ी मीडिया दिखा दे तो चुनाव का रुख बिल्कुल ही 2014 जैसा भाजपा के विपक्ष में अब पलट सकता था। यूट्यूब वेबसाइटों द्वारा ही देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि एक बहुत बड़ा समुह केजरीवाल के बातों पर विश्वास कर आम आदमी पार्टी सहित इंडिया गठबंधन की तरफ आकर्षित हो मतदान के तरफ़ अग्रसर है। 

आम आदमी पार्टी के केजरीवाल को जनता कर रही है पसंद

येन-केन-प्रकारेण भाजपा धीरे-धीरे चारों तरफ राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत कर सरकार बना पूरी बहुमत की सरकार होकर भी जन हितैषी मुद्दों को किनारे कर दी, कुछ राज्यों जैसे देश की राजधानी जहां भारत का संसद भवन है वहीं दसों साल से लगातार आम आदमी पार्टी सरकार चलाते पंजाब राज्य की सत्ता भी अपने हाथ ले ली। दिल्ली देश की नाक है और केजरीवाल नाक पर दसों साल से काबिज जनता के दिल में बसा हुआ है।

दिल्ली की जनता पिछले सरकारों कि अपेक्षा सभी जरूरी सुविधाओं को अब आसानी से प्राप्त कर रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, आवास, रोजी-रोटी, रोजगार, साफ-सफाई, दंगा-फसाद से मुक्त, भ्रष्टाचार से मुक्त यह सब के अलावा जनता की आवश्यकता ही कुछ अन्य नही रह जाती। आइए दस गारंटी भाजपा पर पड़ रही है भारी इसमे से संविदा व्यवस्था पर खुलासा करते हुए पेंशन योजना पर थोड़ी जानकारी देते हैं। 

संविदा कर्मी होगें नियमित

अरविंद केजरीवाल ने संविदा कर्मियों को पक्की नौकरी देने यानी रेगुलर करने की गारंटी दी है जिससे जनता उनके किए गए वादे को देखकर अब वोट इंडिया गठबंधन के खाते में डालने के लिए अग्रसर हो सकती है। बेरोजगारी महंगाई और विकास के मामले में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब का जिस तरह से विकास किया है उसी तर्ज पर वह देश के सभी प्रदेशों में विकास करेंगे इसके लिए जनता उन पर उम्मीद भरी निगाहों से देखती हुई नजर आ रही है। ‌

10 साल के उनके राजनीतिक सफर में उनकी लड़ाई हमेशा भाजपा के खिलाफ रही है इसलिए अरविंद केजरीवाल भाजपा के इस नाकामयाबी का पूरा फायदा उठाते हुए इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की तरफ से बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं। ‌ 

अग्नि वीरों को दी जाएगी स्थाई तैनाती, संविदा कर्मियों की होगी पक्की नौकरी

आत्मविश्वास से भरे अरविंद केजरीवाल ने बेरोजगारी के विषय में अपना नजरिया प्रस्तुत कर दिया है। ‌क्वालिटी एजूकेशन और क्वालिटी हेल्थ सभी नागरिकों का हक है इसके साथ ही पक्की सरकारी नौकरी का उनका वादा जनता तक गोदी मीडिया पहुंचा ही नहीं रही है। ‌
अरविंद केजरीवाल संविदा कर्मियों को नियमित कर्मी के रूप में करने को कहा है तो वही सेना में भर्ती चार साल के लिए अग्निवीरो को स्थाई करने की गारंटी दी है। नरेंद्र मोदी 2014 चुवावी घोषणा पत्र में जो कहा था काला धन लायेंगे 15 - 15 लाख देश की जनता को देगें पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरी की बात नरेंद्र मोदी ने कहा था पर भी सवाल खड़ा करते खुद केजरीवाल ने दो करोड़ प्रति वर्ष नौकरी देने की गारंटी दी है। अरविंद केजरीवाल एक आईएएस अधिकारी रह चुका है और काम करने कराने का तजुर्बा भी दो राज्यों की सरकार चलाते अच्छी देखी जा रही है। इस वजह से देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल कि गारंटी पर भरोसा भी दिखाई दे रहा है, क्योंकि देश की नाक राजधानी दिल्ली में जो व्यक्ति सरकार बनाकर अपनी मेनिफेस्टो को पूरा किया वो देश की सत्ता में भागीदारी मिलने पर अपने एजुकेशनल दिमाग से पूरा करवाने में सक्षम भी हो सकता है। सबसे बड़ी बात है केजरीवाल ने न कुछ बेचा न गिरवी रखा न ही लूटपाट की ईमानदारी से काम किया जिसका असर पड़ता दिखाई दे रहा है। 
संविदा का क्या नाम था 
संविदा (कॉन्टेक्ट) contract  ठीका या ठेका, शर्तनामा तथा समझौता, व्यवस्था। इस व्यवस्था को अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार में जब स्थाई केंद्र में सरकार बनाये तब लागू किए। संविदा व्यवस्था के अन्तर्गत कम खर्च में समान कार्य कि योजना है। 

संविदा व्यवस्था अटल की देन पेंशन भी किया था खत्म 

अटल बिहारी वाजपेयी के मुताबिक उस समय देश में सरकारी कर्मियों को तनख्वाह देने के लिए सरकार के पास धन प्रयाप्त नही था। सरकारी स्थाई कर्मियों का पेंशन योजना बंद कर दिया और संविदा व्यवस्था के अन्तर्गत कम दामों पर क्रमिक रखने की योजना लागू की। हास्यास्पद बात यह है कि जब सरकारी विभागों के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए धन की कमी थी तो एक ही काम के लिए दो प्रकार के कर्मी रखे गए जिसमें संविदा कर्मी अपने पारिश्रमिक में अपने परिवार का भरण-पोषण भी आज के समय में न कर सकें। दूसरी तरफ़ पेंशन व्यवस्था पूरी जिन्दगी सरकार की सेवा में व्यतीत करने वालों की खत्म किए ताकि रिटायर्मेंट के बाद बुढापे में वृद्धाआश्रम की मांग बढ़ सके, वहीं जन प्रतिनिधि जो जनता के सेवक के रूप में आदि काल से माने जाते हैं का पेंशन योजना बेहतरीन तरीके से बहाल रखा। मतलब जितना चाहो उतना पेंशन। जितना चाहो मेज थपथपा कर जब मर्जी अपनी तनख्वाह भी बढ़ा सकते हैं। वर्तमान में पूरी बहुमत से भाजपा सरकार दसों साल से चल रही है। अपनी ही सरकार की लाई गई संविदा व्यवस्था के अन्तर्गत कर्मियों का ध्यान नहीं रखी, न बुढापे की लाठी पुरानी पेंशन बहाल की। इन दोनों मुद्दे पर बीच की कांग्रेस सरकार चुप्पी साधे रही कि यह व्यवस्था भाजपा को सरकार में नही आने देगा। बीच की मनमोहन सरकार के रवैये को देखते हुए फिर एक बार सरकारी सहित संविदा कर्मियों ने 2014 में भाजपा के तरफ़ रुख किया, इस आस से कि भाजपा सरकार में यह व्यवस्था बनी, देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने कि वजह से, तो भाजपा ही इस दोनों योजनाओं को पुनः मुर्त रुप दे सकती है। किन्तु दस सालों में स्थिति बद से बदत्तर होती गई, पंचम वेतन आयोग व्यवस्था को भी बंद कर दिया गया। और संविदा कर्मियों को एक मजदूर से भी बदत्तर बना दिया गया। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2017 से पहले संविदा कर्मियों का पक्षधर थे। अन्य सरकारों में कहा करते थे, संविधान संशोधन कर समान काम का समान वेतन दिया जाए। लेकिन जब मुख्यमंत्री बने अन्य सरकारों में अपनी ही मांगों को पूरा नही किया न अपने केन्द्र सरकार को अपना पक्ष रखा की समान कार्य का समान वेतन दिये जाने के लिए कानून संशोधन हो। अगर कानून संशोधन हो गया होता तो उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न आया होता। यह सब देखकर अब केजरीवाल के दस गारंटी पर जनता का विश्वास टिकना दिखाई दे रहा है। केजरीवाल अपने राज्य में धीरे-धीरे सब स्थिति ठीक करते जा रहे हैं। ऐसे में लग रहा है देश की सत्ता में भागीदारी मिलती है तो संविदा कर्मियों को स्थाई कर्मियों की तरह बराबर का दर्जा दे सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों को बुढापे का पुरानी पेंशन बहाल की आस भी दिखाई देने लगी है। भाजपा सरकार का नारा है न खायेंगे न खाने देगें यह झूठ साबित हो चुका है। 

बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था दिल्ली पंजाब की तर्ज पर खुद सरकार के हाथ
महंगाई और बेरोजगारी की इस दौर में बच्चों की पढ़ाई एक बड़ी समस्या बन गयी है। दिल्ली की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी जैसे हर राज्यों की स्थिति है ठीक वैसा ही दिल्ली की भी स्थिति थी। अरविंद केजरीवाल खुद ही एक शिक्षित व्यक्ति हैं और शिक्षा के महत्व को समझते हुए खुद भी ध्यान दिया और मनीष सिसोदिया को शिक्षा मंत्री बनाया जिन्होंने सरकारी स्कूलों का कायाकल्प कर दिया आज दिल्ली की सरकारी स्कूलों में प्राइवेट विद्यालयों से अच्छी पढ़ाई और व्यवस्था मौजूद है। शिक्षा पर लगने वाले खर्च से अभिभावकों को मुक्ति मिल चुकी है। देश के विकास में शिक्षा का अहम योगदान होता है। जिस पर मनीष सिसोदिया ने ध्यान दिया, और केजरीवाल के निर्देश में मनोयोग से काम कर बहुत जल्द दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का सफल संचालन किया। 
चिकित्सा दिल्ली की तरह हर व्यक्ति को निशुल्क
बेरोजगारी की दौर में कागज़ी पेपर बाजी के तहत इलाज करवा पाना किसी के लिए मुमकिन नहीं है नरेंद्र मोदी स्वास्थ्य के क्षेत्र में तमाम योजना लागू किए हैं किन्तु उसका लाभ कौन उठा रहा है जमीन हकीकत पर नज़र डालने पर दिखाई दे सकता है। जगह-जगह जन औषधालय खोल दिये गये इससे जो रोजगार मेडिकल स्टोर संचालक को मिलता था वो सब डायरेक्टर सरकार को मिल रहा है। पहले सरकारी अस्पतालों पर निशुल्क दवा उपलब्ध रहती थी अब वही दवा जन औषधालय से खरीद कर लेना पड़ता है। जैसे गैस में पहले छूट दे सरकार बीच का फायदा बिचौलियों से बंद कर अपने लेने लगी वैसे ही मेडिसिन का भी होता दिखाई दे रहा है। अरविंद केजरीवाल प्राइवेट हास्पीटलो की तर्ज पर दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा को बनाया निशुल्क बिना कोई पापर बेलें आसानी से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है। उसी तर्ज पर देश भर में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने कि गारंटी दी है। 

भाजपा फ्री की रेवड़ी पर हमेशा एतराज करती रही

लेकिन जनता को सरकार की तरफ से यदि सहूलियत मिलती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है अरविंद केजरीवाल अगर बिजली बिल माफ करते हैं दिल्ली और पंजाब के तर्ज पर पूरे देश में तो निश्चित ही जनता के लिए या राहत भरी खबर होगी।

इंडिया गठबंधन जीती तो राहुल गांधी अपने मेनिफेस्टो में किए गए वादे को भी पूरा करेंगे जो जनता के हित में है ऐसे में बेरोजगारी और महंगाई से लड़ने के लिए युवाओं और आधी आबादी को सहूलियत दी जा रही है तो इसमें भाजपा को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए बल्कि अपने संकल्प पत्र घोषणा पत्र में सुधार करके नए प्रभावशाली वाले उन्हें करने चाहिए और चुनावी प्रचार करते समय इन बातों को करने के बारे में बताना चाहिए तभी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को जवाब दे पाएंगे लेकिन भाजपा तीसरी बार भी अपनी पुरानी वाली राजनीति के जरिए सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाहती है जबकि आज माहौल फिर वही 2014 से पहले वाली हो गई है ऐसे में सत्ता पक्ष के खिलाफ वोट पड़ने की पूरी संभावना नजर आ रही है।

पूरे देश में बिजली बिल माफ करने की अरविंद केजरीवाल की गारंटी

बिजली बिल दिल्ली पंजाब के तर्ज पर देश भर में माफ। 
बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी की दौर में बिजली बिल बढ़ती जा रही है ऐसे में सख्त जरूरत है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अरविंद केजरीवाल अपने गारंटी में दिल्ली पंजाब की तर्ज पर देश भर में बिजली बिल से राहत देने की गारंटी दी है।

आर्टिकल निष्कर्ष 

election 2024 अरविंद केजरीवाल की राजनीति में एंट्री भाजपा और कांग्रेस के लिए एक सबक साबित हुआ हालांकि कांग्रेस ने इसे सीख लिया लेकिन भारतीय जनता पार्टी 10 साल से सत्ता में होने के बावजूद भी अरविंद केजरीवाल को दिल्ली से बाहर नहीं कर पाई उल्टे ही पंजाब में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने पांव पसार लिया। ‌
जब आम आदमी पार्टी को हरा नहीं पाए तो उनके बड़े नेताओं को झूठे मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया गया। ‌ताकि इससे आम आदमी पार्टी कमजोर हो जाए और जनता के मन में बेईमान की छवि अरविंद केजरीवाल की बस जाए। अरविंद केजरीवाल पर आरोप अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है लेकिन गोदी मीडिया की प्रोपेगेंडा के चलते केजरीवाल का जो नुकसान होने वाला था बल्कि बिल से छूटने पर उन्होंने चुनावी प्रचार में जब अपनी बात रखना शुरू किया तो जनता उनके भाषणों को यूट्यूब और सोशल मीडिया में सुनने के लिए बेताब हो गई इस बात को गोदी मीडिया पचा नहीं पा रही है। ‌
कांग्रेस के राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल इस समय इस राजनीति में सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी के सामने खड़े हुए हैं। 

दोनों नेता राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल प्रेस कांफ्रेंस और अपने भाषण में सटीक मुद्दे उठाते हैं तो वही अपने भाषणों में नरेंद्र मोदी झूठ बोलते हुए नजर आते हैं मुस्लिम और मंगलसूत्र जैसी बातें करके भारत को विकास के रास्ते पर ले जाने वाले खुद को साबित करते हुए नजर आते हैं ऐसे में उनके इस झूठे वादे पर जनता अब विश्वास करने वाली नहीं है। ‌ 
वहीं भाजपा के नरेंद्र मोदी अपने आगे अपने ही नेताओं को बोलने नहीं देते हैं, केवल उनके प्रवक्ता ही टीवी चैनल पर नजर आते हैं। उल्टी सीधी बातें करते हुए गोदी मीडिया में अपनी बात रखते हुए नजर आते हैं। प्रधानमंत्री सीधे तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर भागते हैं ऐसे में मोदी के पास अब किसी तरह का मुद्दा नहीं बचा है। बस आम व्यक्ति के जेहन में अब यह बात बैठ गई है कि उनके साथ 10 साल तक बेरोजगारी महंगाई पर किसी तरह की आवाज उठाई ही नहीं गई। ‌
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