विज्ञापन और एजेंडा में क्या होता है अंतर ?
विज्ञापन और एजेंडा में अंतर समझना बहुत महत्वपूर्ण है। विज्ञापन किसी उत्पाद या सेवा का प्रचार होता है, जिसमें मीडिया माध्यम का प्रयोग किया जाता है। लेकिन जब कोई मीडिया माध्यम विज्ञापन को खबर की तरह प्रस्तुत करता है, तो यह एजेंडा और दुष्प्रचार होता है।
एजेंडा में मीडिया माध्यम किसी विशेष विचार या राजनीतिक दल को बढ़ावा देने के लिए खबरों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करता है। यह निष्पक्षता और सूचनात्मकता की कमी को दर्शाता है, जो पत्रकारिता के मूल्यों के विरुद्ध है।
इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम विज्ञापन और एजेंडा के बीच के अंतर को समझें और मीडिया माध्यमों की खबरों को निष्पक्षता और सूचनात्मकता के आधार पर मूल्यांकन करें।
हालांकि प्रबुद्ध पाठक दर्शक इस बात को समझ जाते हैं, परंतु जिन्हें मालूम नहीं होता है वह इसे न्यूज़ समझते हैं। न्यूज़ की वैल्यू होती है क्योंकि इस निष्पक्ष और सूचनात्मक माना जाता है यदि इसे एजेंडा और प्रचार के तौर पर बनावटी या किसी को फायदा पहुंचाने के लिए उसमें बनावटी विचार प्रस्तुत किया जाए तो निश्चित तौर पर यह पीत्त पत्रकारिता के अंतर्गत आता है। जिसे अंग्रेजी में यलो जर्नलिज्म कहा जाता है।
अभिषेक कांत पांडेय
मीडिया विशेषज्ञ (एजुकेटर)